Delhi में धमाका और चीन के पड़ोस में लैंड किया PM मोदी का खास विमान, क्या है हिमालयी देश में एंट्री का मास्टरप्लान
प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को भूटान पहुंचे, जहां वह हिमालयी देश के चतुर्थ नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के 70वें जन्मदिन समारोह में शामिल होंगे। पारो हवाई अड्डे पर भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने उनका स्वागत किया। भूटान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिल्ली विस्फोट के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। दिल्ली में हुई भयावह घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। पूरा देश दिल्ली विस्फोट से प्रभावित परिवारों के साथ खड़ा है। हमारी एजेंसी साजिश की जड़ों तक पहुंचेंगी। भारत और भूटान न केवल सीमाओं से बल्कि संस्कृति, मूल्यों, शांति और प्रगति से भी जुड़े हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमालयी देश की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना होते हुए कहा कि पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन भारत और भूटान के बीच ऊर्जा साझेदारी में एक और बड़ी उपलब्धि होगी। इस यात्रा के दौरान मोदी भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे से मिलेंगे और वे दोनों मिलकर पुनात्सांगछू-II परियोजना का उद्घाटन करेंगे। मोदी भूटान के पूर्व नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भी शामिल होंगे।
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विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य भारत और भूटान के बीच मित्रता और सहयोग के विशेष संबंधों को मज़बूत करना है और यह नियमित उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय आदान-प्रदान की परंपरा के अनुरूप है। मोदी ने एक बयान में कहा पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना के उद्घाटन के साथ यह यात्रा हमारी सफल ऊर्जा साझेदारी में एक और प्रमुख मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित 1,020 मेगावाट की विद्युत परियोजना का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि महामहिम चतुर्थ नरेश की 70वीं जयंती मना रहे भूटान के लोगों के साथ शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात होगी। मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा हमारी मित्रता के बंधन को और गहरा करेगी और साझा प्रगति एवं समृद्धि की दिशा में हमारे प्रयासों को और मज़बूत करेगी।
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भारत के लिए क्यों खास है भूटान
भूटान की उत्तरी सीमा चीन से लगती है। अगर भूटान में चीन का प्रभाव बढ़ा, तो भारत की चिकन नेक (सिलिगुड़ी कॉरिडोर) पर खतरा हो सकता है। यह वो पतली गलियारा है जो भारत के उत्तर-पूर्व को बाकी देश से जोड़ता है। भूटान भारत और चीन के बीच एक सुरक्षा कवच की तरह है। भारत नहीं चाहता कि चीन यहां अपनी सेना या प्रभाव बढ़ाए। भूटान संयुक्त राष्ट्क सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सीट की समर्थन करता है।
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