Operation Sindoor से सबक लेकर Pakistan अब भारत के CDS की तर्ज पर बनायेगा CDF, कौन बनेगा Asim Munir का Boss ?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत से बुरी तरह मात खाने वाला पाकिस्तान अब अपने रक्षा बलों को दुरुस्त करने की तैयारी में जुट गया है। हम आपको बता दें कि इस्लामाबाद से खबर आई है कि पाकिस्तान अब अपने रक्षा ढांचे में आमूलचूल बदलाव की तैयारी कर रहा है। वह तीनों सेनाओं— थल, जल और वायु के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए “कमांडर ऑफ डिफेन्स फोर्सेज़ (CDF)” नामक एक नया शीर्ष सैन्य पद सृजित करने जा रहा है। यह कमोबेश वैसा ही पद है जैसा भारत में सीडीएस का है। यानि पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की नकल करने से गुरेज नहीं किया है।
वैसे पाकिस्तान को सीडीएफ बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, यह पूरी दुनिया जानती है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था जिसमें पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और घातक प्रहार किए गए थे। इन हमलों ने पाकिस्तानी वायुसेना के कई ठिकानों, नियंत्रण कक्षों और कमांड सेंटरों को पंगु बना दिया था। चार दिन चले इस भीषण संघर्ष के बाद पाकिस्तान ने संघर्षविराम की अपील की थी और भारत ने अपनी शर्तों पर वह प्रस्ताव स्वीकार किया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में मचा हड़कंप यह बताता है कि भारत का प्रहार केवल उसकी सीमाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसके सैन्य आत्मविश्वास को भी चकनाचूर कर गया है। इसलिए पाकिस्तान अपने पूरे रक्षा ढांचे की समीक्षा कर रहा है और “कमांडर ऑफ डिफेन्स फोर्सेज़” जैसा नया पद सृजित करने जा रहा है। यह वही पाकिस्तान है जो दशकों से भारत को “रणनीतिक खतरा” कहकर आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा। मगर आज वही देश भारतीय हमले के डर से अपनी सेनाओं के बीच तालमेल बैठाने की जुगत में है। यह कोई साधारण परिवर्तन नहीं, बल्कि रणनीतिक पराजय की स्वीकारोक्ति है।
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हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के ‘द न्यूज़’ अख़बार ने भी कहा है कि यह पूरा कदम भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिले कड़े सबक का परिणाम है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 243 में संशोधन का मसौदा तैयार किया गया है। फिलहाल यह अनुच्छेद सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के अधीन रखता है, जबकि वास्तविक नियंत्रण संघीय सरकार के पास है। नई व्यवस्था में यह अधिकार एकीकृत सैन्य कमान यानी सीडीएफ (CDF) को सौंपने का प्रस्ताव है, जो तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्रवाइयों का नेतृत्व करेगा। इसका उद्देश्य है संकट की स्थिति में तेज़, समन्वित और एकीकृत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पुष्टि की है कि सरकार रक्षा सुधारों पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने जियो न्यूज से कहा, “अनुच्छेद 243 पर विचार-विमर्श जारी है। रक्षा आवश्यकताएँ बदल चुकी हैं और इन सुधारों को सभी हितधारकों की सहमति से आगे बढ़ाया जाएगा।” बताया जा रहा है कि इन सुधारों में केवल सैन्य संरचना ही नहीं, बल्कि संवैधानिक और न्यायिक ढांचे में भी परिवर्तन प्रस्तावित हैं। पाकिस्तान के 27वें संविधान संशोधन में एक नए संवैधानिक न्यायालय की स्थापना का भी प्रस्ताव है। अन्य प्रस्तावित संवैधानिक परिवर्तनों में ज्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का पुनर्गठन और नाम परिवर्तन की बात कही जा रही है। इसके अलावा, स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड की स्थापना, सेना प्रमुख को फील्ड मार्शल का मानद दर्जा, कार्यपालिका मजिस्ट्रेट प्रणाली की पुनः स्थापना, शिक्षा और जनसंख्या नियोजन का नियंत्रण संघीय सरकार को लौटाना, चुनाव आयोग (ECP) के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन करने का भी प्रस्ताव है।
पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, सीडीएफ पद की स्थापना आधुनिक “हाइब्रिड वॉरफेयर” के अनुरूप एक आवश्यक कदम है, जहाँ ज़मीनी, नौसैनिक, वायु और साइबर मोर्चों पर एक साथ खतरे उभर सकते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आधुनिक युद्ध का स्वरूप संयुक्त संचालन की माँग करता है। हम अलग-अलग शाखाओं में बँटकर नहीं लड़ सकते।” वहीं आलोचकों का कहना है कि एक व्यक्ति के हाथों में अत्यधिक शक्ति केंद्रित करने से नागरिक-सैन्य संतुलन बिगड़ सकता है। साथ ही, न्यायिक और प्रशासनिक ढांचे में संशोधन से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी प्रश्न उठ रहे हैं।
इसके साथ ही अब पाकिस्तान के भीतर एक और बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि यदि “कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज़ (सीडीएफ)” का नया पद बनाया जा रहा है, तो आखिर यह जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी? क्या यह पद मौजूदा सेनाध्यक्ष और नव-प्रमोटेड फील्ड मार्शल जनरल असीम मुनीर से ऊपर होगा? जैसा कि बताया जा रहा है कि प्रस्तावित सीडीएफ तीनों सेनाओं— थल, जल और वायु के संचालन और समन्वय की सर्वोच्च जिम्मेदारी संभालेगा। ऐसे में यह स्वाभाविक सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान अपनी परंपरागत सैन्य कमान संरचना में ‘सुपर चीफ’ जैसी व्यवस्था बनाने जा रहा है? अगर ऐसा होता है तो सेना के भीतर शक्ति-संतुलन में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम फौज के भीतर नेतृत्व-संघर्ष की नई स्थिति भी पैदा कर सकता है, खासकर तब जब फील्ड मार्शल असीम मुनीर पहले से ही पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक शक्ति के केंद्र में हैं।
बहरहाल, पाकिस्तान सरकार संसद में संविधान संशोधन लाकर सेना प्रमुख के ऊपर “CDF” नामक एक संयुक्त कमांडर पद बनाने को भले “आधुनिक युद्ध की माँगों” के अनुरूप कदम बता रही हो, मगर सच्चाई यह है कि पाकिस्तान की यह बेचैनी सीधे “ऑपरेशन सिंदूर” की गूंज है। जिस देश ने दशकों तक अपने सैन्य ढाँचे को भारत के विरोध पर आधारित रखा, वही आज भारत से मिले करारे सबक के बाद सैन्य ढांचे में ‘सुधार’ करने की बात कर रहा है। पाकिस्तान भले ही नए “कमांडर ऑफ डिफेन्स फोर्सेज़” बनाकर अपने सैन्य तंत्र को सुधारने का नाटक करे, लेकिन हकीकत यह है कि ऑपरेशन सिंदूर ने उसकी रणनीतिक आत्मा पर प्रहार कर दिया है। भारत की सेनाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर दुश्मन सीमा पार से वार करेगा, तो जवाब सीमा पार ही मिलेगा— तेज़, ठोस और जोरदार तरीके से।
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