भारत ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली बैठक का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि इससे यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने में मदद मिलेगी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत 15 अगस्त 2025 को अलास्का में होने वाली बैठक के लिए अमेरिका और रूसी संघ के बीच बनी सहमति का स्वागत करता है। यह बैठक यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने और शांति की संभावनाओं को खोलने का वादा करती है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर कहा है, यह युद्ध का युग नहीं है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि पुतिन के साथ बहुप्रतीक्षित बैठक अगले शुक्रवार को ग्रेट स्टेट ऑफ़ अलास्का में होगी, जिसके बारे में आगे की जानकारी बाद में दी जाएगी।
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2015 के बाद से पुतिन की यह पहली संयुक्त राज्य अमेरिका यात्रा होगी, जब उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की थी। अलास्का में यह बैठक 2021 के बाद पहली अमेरिका-रूस शिखर बैठक भी होगी, जब पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिनेवा में पुतिन के साथ बातचीत की थी। आर्मेनिया-अज़रबैजान शांति समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान व्हाइट हाउस में बोलते हुए, ट्रंप ने सुझाव दिया कि यूक्रेन और रूस के बीच संभावित समझौते में क्षेत्रीय आदान-प्रदान शामिल हो सकता है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हम कुछ ज़मीन वापस लेंगे और कुछ ज़मीनें बदलेंगे। दोनों के हित में कुछ ज़मीनों की अदला-बदली होगी।
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हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने ज़मीन छोड़ने के विचार को खारिज कर दिया। यूक्रेन के क्षेत्रीय प्रश्न का उत्तर पहले से ही यूक्रेन के संविधान में मौजूद है। कोई भी इससे विचलित नहीं होगा और न ही कोई इससे विचलित हो सकता है। उन्होंने टेलीग्राम पर कहा कि यूक्रेनी लोग अपनी ज़मीन कब्ज़ा करने वाले को नहीं देंगे। ज़ेलेंस्की ने यह भी चेतावनी दी कि कीव को छोड़कर कोई भी समझौता एक मृत समाधान होगा जो कभी काम नहीं करेगा। शिखर सम्मेलन की यह घोषणा ट्रम्प द्वारा रूसी तेल के आयात पर भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कुछ दिनों बाद आई है।
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