व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि एच1बी वीजा के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क केवल नये आवेदकों पर लागू होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत एच1बी वीजा शुल्क बढ़ाकर सालाना 1,00,000 अमेरिकी डॉलर किए जाने का प्रावधान है।
ट्रंप के इस कदम से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की खबर के अनुसार, व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एच1बी वीजा शुल्क वृद्धि को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अगर यह शुल्क लागू रहता है, तो कुशल अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों को नियुक्त करने वाली कंपनियों को इस वीजा पर काम करने वाले किसी भी कर्मचारी के लिए छह साल तक हर साल 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा। यह शुल्क केवल नये आवेदकों पर लागू होगा।’’
एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि नया वीजा शुल्क केवल नये आवेदकों पर लागू होगा और इसका उन मौजूदा वीजा धारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो अभी अमेरिका से बाहर हैं।
फिलहाल एच-1बी वीजा शुल्क नियोक्ता के आकार और अन्य लागत के आधार पर लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक है। भारतीय पेशेवरों के बीच बेहद लोकप्रिय ये वीजा तीन साल के लिए वैध होते हैं और इन्हें और तीन साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।
ट्रंप के फैसले का भारतीय पेशेवरों पर गहरा असर पड़ेगा, जिन्हें प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्र की कंपनियां एच1बी वीजा पर नियुक्त करती हैं। ट्रंप के एच1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर का भारी-भरकम शुल्क लगाने के आदेश के कुछ ही घंटों बाद शनिवार को अमेरिका में एच1बी वीजा पर रह रहे भारतीयों में दहशत, भ्रम की स्थिति और चिंता व्याप्त हो गई। कई भारतीयों ने भारत यात्रा की अपनी योजना रद्द कर दी।
भारत जाने वाले विमानों में सवार होने के इंतजार में बैठे कई लोगों ने आखिरी समय में अपनी यात्रा की योजना रद्द कर दी, वहीं भारत में पहले से मौजूद कई लोग स्पष्टता के अभाव में लौटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
वहीं, आव्रजन मामलों के वकील और विभिन्न कंपनियां अमेरिका से बाहर यात्रा पर गए एच1बी वीजा धारकों को आगाह करते हुए उन्हें तुरंत वापस लौटने की सलाह दे रही हैं।
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