भारत के ट्रकों ने मक्कारी कर रहे कई देशों में हड़कंप मचा दिया है। भारत से लगातार गद्दारी कर रहे अमेरिका को जवाब देने के लिए भारत ने इन ट्रकों का इस्तेमाल जबरदस्त कूटनीतिक हमले के लिए किया है। भारत ने इन ट्रकों के जरिए अपनी इंसानियत और अमेरिका की हैसियत पूरी दुनिया के सामने दिखा दी है। दरअसल, अपनी बातें मनवाने और भारत पर दबाव डालने के लिए डोनाल्ड ट्रंप एक मैक्सिमम प्रेशर पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। इन पॉलिसी में अलग अलग सेक्टर पर टैरिफ लगाना, एच1बी वीजा का शुल्क बढ़ाना शामिल है। पाकिस्तान से दोस्ती और रूस का नाम लेकर भारत को कोसना भी ट्रंप की मैक्सिमम प्रेशर पॉलिसी का हिस्सा है। अमेरिका ये सब इसलिए कर रहा है क्योंकि भारत उसकी बात मान जाए।
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ऐसेमें डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर दी गई छूट को रद्द करने का ऐलान कर दिया। आप जानते ही हैं कि अमेरिका ने ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से किसी भी देश का ईरान के साथ व्यापार करना लगभग असंभव है। लेकिन अमेरिका ने साल 2018 में चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान की मदद और विकास के लिए छूट दी थी। यानी अमेरिका के जो प्रतिबंध पूरे ईरान पर थे वो चाबहार पोर्ट पर लागू नहीं होते थे। इस पोर्ट का निर्माण भारत ने किया था और ये उसके लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण भी है। लेकिन अब ट्रंप ने कह दिया है कि ईरान की गलत हरकतों को रोकना चाहता हैं इसलिए हम चाबहार पोर्ट को दी गई खास छूट को रद्द कर रहे हैं।
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भारत को चोट पहुंचाने के लिए अमेरिका ने ये ऐलान किया। अब पीएम मोदी ने इसी चाबहार पोर्ट पर ट्रक दौड़ा दिए हैं। भारत ने पिछले महीने आए भीषण भूकंप से तबाह हुए अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय सहायता की एक नई खेप भेजी है। तीन कंटेनरों में भरी यह राहत सामग्री चाबहार बंदरगाह के रास्ते काबुल पहुँची और अफ़ग़ान अधिकारियों को सौंप दी गई। इस सहायता के साथ, प्रभावित लोगों की सहायता के लिए भेजी गई सहायता की यह तीसरी खेप है। इस खेप में खाद्य आपूर्ति, वाटर प्यूरीफायर, प्रोटीन पाउडर, टिन की चादरें, स्लीपिंग बैग, स्वच्छता किट, जल भंडारण टैंक, जनरेटर सेट, पारिवारिक टेंट, कंबल, आवश्यक दवाइयाँ और अन्य चिकित्सा सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएँ शामिल हैं। यह प्रयास भूकंप के बाद राहत प्रदान करने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें 2,200 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी। ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल से यह राहत सामग्री पहुँचाने में आसानी हुई, जिससे क्षेत्रीय रसद चुनौतियों के बीच सहायता के लिए एक वैकल्पिक मार्ग का पता चला।
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विदेश मंत्रालय ने सहायता के आगमन की घोषणा करते हुए कहा कि यह भूकंप प्रभावित क्षेत्रों की मौजूदा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पहले भेजी गई खेपों पर आधारित है। चूंकि पुनर्प्राप्ति प्रयास जारी हैं, इस नवीनतम सहायता का उद्देश्य अफगानिस्तान में तत्काल राहत प्रदान करना तथा दीर्घकालिक पुनर्निर्माण प्रयासों को समर्थन प्रदान करना है। भारत की ओर से राहत सामग्री की पहली खेप 1 सितंबर को भेजी गई, जिसमें काबुल में 1,000 परिवारों के लिए टेंट शामिल थे। इसके अलावा, भारतीय मिशन द्वारा काबुल से कुनार प्रांत तक 15 टन खाद्य सामग्री भी पहुँचाई गई।
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