एक तस्वीर ने अमेरिका समेत पूरे यूरोप को हिला दिया है। एक तस्वीर में पीएम मोदी के साथ जो शख्स नजर आया उसकी ताकत का अंदाजा डोनाल्ड ट्रंप और बाकी यूरोपीय देशों को अच्छे से है। तभी तो पीएम मोदी की इस शख्स से मुलाकात के बाद यूरोप का बयान आया है कि अगर अमेरिका ने भारत की अनदेखी जारी रखी तो अमेरिका भी हार जाएगा और पश्चिमी देश भी हार जाएंगे। आपको बता दें कि पीएम मोदी के साथ जो शख्स नजर आया उससे मिलने के लिए एक वक्त पर डोनाल्ड ट्रंप भी बेताब थे। लेकिन वो नहीं मिल पाए। दरअसल, पीएम मोदी ने एससीओ समिट के दौरान चीन के एक बेहद ही ताकतवर नेता काय ची से मुलाकात की। आप काई ची को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की परछाई कह सकते हैं। शी जिनपिंग ने खुद पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद काई ची को पीएम मोदी से मिलवाया।
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इसका सीधा मतलब ये है कि इस बार चीन भारत को लेकर सही में कुछ बड़े फैसले लेने जा रहा है। शी जिनपिंग पीएम मोदी से सिर्फ औपचारिक मीटिंग नहीं करना चाहते थे। वो अब शायद भारत के साथ मिलकर कुछ बड़ी तैयारी में लग गए हैं। तभी उन्होंने काई ची को पीएम मोदी से मिलने के लिए भेज दिया। काई ची को जिनपिंग का राईट हैंड कहा जाता है। काई ची चीन को चलाने वाले सात लोगों के सबसे ताकतवर ग्रुप यानी पॉलिट ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य हैं। सात लोगों से बनी ये समिति ही चीन को चलाती है। यही देश के फैसले लेने वाला सबसे ताकतवर ग्रप है। इसी ग्रप में काई ची पांचवे नंबप पर आते हैं। इस ग्रुप में शी जिनपिंग सबसे ऊपर हैं। काई ची पांचवें नंबर पर हैं, लेकिन उनकी हैसियत दूसरे स्थान पर मौजूद प्रीमियर ली कियांग के बराबर है।
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बताया जाता है कि काई ची दुनियाभर में चीन के द्वारा चलाए जाने वाले प्रोपोगैंडा विंग के कर्ताधर्ता है। चीन दुनियाभर के देशों के खिलाफ जो नैरेटिव वॉर चलाता है। उसे काई ची ही देखते हैं। भारत के खिलाफ भी चीन जो नैरेटिव वॉर चलाया है। उसमें भी काफी हद तक काई ची का हाथ हो सकता है। लेकिन अब काई ची का पीएम मोदी से मिलना एक बहुत बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। आने वाले दिनों में आपको शायद भारत के खिलाफ आपको चीन का ज्यादा प्रोपोगैंडा नहीं दिखेगा। चीनी मीडिया में भी अचानक पीएम मोदी और भारत की तारीफें होने लगी हैं। इसके लिए काई ची ही जिम्मेदार हो सकते हैं।
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आप काई ची की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य कभी भी शी जिनपिंग के साथ विदेशी यात्राओं पर नहीं जाते। लेकिन काई ची वो पहले शख्स हैं जिन्हें जिनपिंग अपने साथ विदेश लेकर गए। 2003 में तो शी जिनपिंग जब जो बाइडेन से मिलने गए तो अपने साथ काई ची को ले गए। पुतिन के साथ मुलाकात में भी काई ची को लेकर गए। अब शी जिनपिंग के कहने पर काई ची ने पीएम मोदी से मुलाकात की है। जनवरी 202 में जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे थे। उस समय अमेरिका चाहता था कि शी जिनपिंग और काई ची शपथग्रहण समारोह में आए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। डोनाल्ड ट्रंप भी जानते हैं कि काई ची की चीन में क्या ताकत है। शी जिनपिंग जो फैसले लेते हैं उन्हें लागू कराने का काम काई ची का ही है।
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