Friday, September 12, 2025

Prabhasakshi NewsRoom: Dallas में भारतीय का सिर कलम, California में भारतीय को गोली मारी, राजनीतिज्ञ दे रहे भारतीय विरोधी बयान... क्या America में सुरक्षित हैं प्रवासी?

अमेरिका लंबे समय से भारतीय युवाओं और पेशेवरों के लिए अवसरों की भूमि माना जाता रहा है। लेकिन हाल की घटनाएँ एक अलग ही सच्चाई सामने ला रही हैं। सपनों का यह देश अब भारतीयों के लिए भयावह और असुरक्षित होता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में तीन अलग-अलग घटनाएँ घटीं, जिन्होंने प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और भविष्य को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

पहली घटना डलास (टेक्सास) की है। 50 वर्षीय भारतीय मूल के होटल प्रबंधक चंद्रमौली नागमल्लैया को एक स्थानीय होटल कर्मचारी ने उनकी पत्नी और बेटे के सामने निर्ममता से मार डाला। विवाद का कारण एक टूटी हुई वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल था। आरोपी ने नागमल्लैया का सिर धड़ से अलग कर डस्टबिन में फेंक दिया। आपराधिक इतिहास वाले संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है जो होटल प्रबंधक का सहकर्मी है। यह घटना डलास के ‘डाउनटाउन सुइट्स’ होटल में हुई।

डलास पुलिस विभाग के अनुसार, मूल रूप से कर्नाटक निवासी चंद्रमौली ‘बॉब’ नागमल्लैया की, उसके सहकर्मी योर्डानिस कोबोस-मार्टिनेज के साथ खराब वॉशिंग मशीन को लेकर हुए विवाद के बाद हत्या कर दी गई। कोबोस-मार्टिनेज (37) उस समय आपा खो बैठा, जब नागमल्लैया ने उससे सीधे बात करने की बजाय किसी अन्य व्यक्ति से उनके निर्देशों का अनुवाद करने को कहा। सीसीटीवी फुटेज में कोबोस-मार्टिनेज को एक चाकू निकालते और नागमल्लैया पर हमला करते हुए देखा गया है। इसके बाद पीड़ित होटल कार्यालय की ओर भागा, जहां उसकी पत्नी और 18 वर्षीय बेटा मौजूद थे, लेकिन संदिग्ध ने उनका पीछा किया और नागमल्लैया को उनकी पत्नी और बेटे द्वारा बचाए जाने के प्रयासों के बावजूद फिर हमला किया। कोबोस-मार्टिन का ह्यूस्टन में पहले भी आपराधिक इतिहास रहा है, जिसमें वाहन चोरी और हमले के लिए गिरफ़्तारियां शामिल हैं। अगर वह दोषी पाया जाता है तो उसे बिना पैरोल के उम्रकैद या मौत की सजा सुनायी जा सकती है। देखा जाये तो यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि अमेरिकी समाज में व्याप्त हिंसक संस्कृति और प्रवासियों के प्रति छिपी नफरत की डरावनी मिसाल है।

दूसरी घटना कैलिफ़ोर्निया की है। हरियाणा के जिंद जिले के 26 वर्षीय कपिल, जो एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहे थे, उनको इसलिए गोली मार दी गई क्योंकि उन्होंने एक व्यक्ति को सड़क पर पेशाब करने से रोका था। कपिल ने तीन साल पहले खतरनाक “डंकी रूट” से अमेरिका पहुँचने के लिए अपने परिवार की जमा-पूँजी, लगभग 45 लाख रुपये, दाँव पर लगा दी थी। पर जिस अमेरिका को उन्होंने उज्ज्वल भविष्य का ठिकाना समझा था, वहीं उनकी जान चली गई।

तीसरा प्रसंग सीधे राजनीति से जुड़ा है। अमेरिकी दक्षिणपंथी नेता चार्ली किर्क जिनकी एक दिन पहले हत्या हो गयी, उन्होंने हाल ही में खुलकर भारतीयों के ख़िलाफ़ बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका को अब भारत से और वीज़ा की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि भारतीयों ने अमेरिकी नौकरियाँ छीन ली हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने भारत समर्थक सोशल मीडिया अकाउंट्स को “विदेशी एजेंट” घोषित करने की माँग तक कर डाली थी। देखा जाये तो यह महज़ बयानबाज़ी नहीं, बल्कि अमेरिकी राजनीतिक विमर्श में उभरती प्रवासी-विरोधी प्रवृत्ति का संकेत है।

इन तीनों घटनाओं को मिलाकर देखा जाए तो तस्वीर बेहद चिंताजनक है। एक ओर प्रवासी भारतीय मामूली कारणों पर जान गँवा रहे हैं, दूसरी ओर अमेरिकी राजनीति में भारतीयों को आर्थिक प्रतिस्पर्धी और बोझ की तरह देखा जा रहा है। कपिल की मौत यह भी दिखाती है कि किस तरह आर्थिक मजबूरी में भारतीय परिवार अपने बच्चों को खतरनाक रास्तों से अमेरिका भेजते हैं। वहीं, डलास की घटना स्पष्ट करती है कि अमेरिकी कानून-व्यवस्था प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल है।

इस परिस्थिति में भारतीय समाज और सरकार दोनों के सामने गंभीर प्रश्न हैं। क्या हम अब भी अमेरिका को अवसरों की भूमि मानकर अपनी युवा शक्ति को वहाँ भेजते रहेंगे? क्या समय नहीं आ गया कि भारत अपने यहाँ ऐसे अवसर और माहौल बनाए, जिससे युवाओं को जान जोखिम में डालकर विदेश जाने की मजबूरी न रहे? साथ ही, यह भी आवश्यक है कि भारत सरकार अमेरिका पर दबाव बनाए और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कूटनीतिक कदम उठाए। इसमें कोई दो राय नहीं कि अमेरिका का सपना अब टूट रहा है और भारतीयों के लिए यह सपना कहीं दुःस्वप्न न बन जाए, इसके लिए समय रहते चेतने की ज़रूरत है।


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