प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन स्थल पर पहुँचे, जहाँ वैश्विक नेता इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम के लिए एकत्रित हुए हैं। इस शिखर सम्मेलन से इतर, प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ खुलकर बातचीत करते देखे गए। तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति अपनी गर्मजोशी व्यक्त की। X पर प्रधानमंत्री मोदी ने पोस्ट किया, "राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर हमेशा खुशी होती है!"। एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मोदी पुतिन से हाथ मिलाते और गले मिलते भी देखे गए।
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दस सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों का शिखर सम्मेलन सोमवार को चीन के तियानजिन में शुरू हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगठन के अन्य नेताओं के साथ मिलकर इस समूह की भावी दिशा तय करने के लिए एक दिवसीय शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श शुरू किया। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने नेताओं का स्वागत किया। 25वें शिखर सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत रविवार रात शी चिनफिंग द्वारा आयोजित एक भव्य भोज के साथ हुई। इसमें प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत अन्य नेता भी शामिल हुए।
इस वर्ष का शिखर सम्मेलन एससीओ समूह का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन बताया गया है, क्योंकि इस वर्ष एससीओ के अध्यक्ष चीन ने ‘एससीओ प्लस’ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस सहित 20 विदेशी नेताओं और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है। सोमवार को विभिन्न नेता बैठक को संबोधित करेंगे तथा संगठन के लिए अपने भविष्य के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेंगे।
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शी चिनफिंग से मोदी की मुलाकात और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न देशों पर नए शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर उत्सुकता से नजर रखी जाएगी। माना जा रहा है कि इस बैठक से संबंधों के लिए नया खाका तैयार होगा। स्वागत भोज पर अपने संबोधन में शी ने कहा कि एससीओ पर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा करने तथा बढ़ती अनिश्चितताओं और तेज परिवर्तन की दुनिया में विभिन्न देशों के विकास को बढ़ावा देने की बड़ी जिम्मेदारी है।
शी ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयासों से शिखर सम्मेलन पूर्णतः सफल होगा तथा एससीओ निश्चित रूप से और भी बड़ी भूमिका निभाएगा, सदस्य देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने में अधिक योगदान देगा, ‘ग्लोबल साउथ’ की ताकत को एकजुट करेगा तथा मानव सभ्यता की और अधिक प्रगति को बढ़ावा देगा।
‘ग्लोबल साउथ’ का संदर्भ आर्थिक रूप से कमजोर देशों के समूह के लिए दिया जाता है। एससीओ की स्थापना जून 2001 में शंघाई में हुई थी और इसमें छह संस्थापक सदस्य थे। अब 26 देश इसका हिस्सा हैं, जिनमें 10 सदस्य, दो पर्यवेक्षक और 14 वार्ता साझेदार शामिल हैं, जो एशिया, यूरोप और अफ्रीका में फैले हुए हैं। प्रमुख उभरते बाजारों और चीन, रूस तथा भारत जैसे विकासशील देशों के सदस्यों के साथ, एससीओ विश्व की लगभग आधी आबादी और वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक-चौथाई का प्रतिनिधित्व करता है।
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