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भारत के बच्चों की 69 प्रतिशत मौतें कुपोषण से

यूनिसेफ की रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा

भारत के बच्चों की 69 प्रतिशत मौतें कुपोषण से

देश में पिछले कुछ दिनों से एनआरसी, सीएए और एनआरपी जैसे मुद्दों से तहलका मचा हुआ है. हर तरफ इसी के चर्चे चल रहे है. लेकिन इन खबरों की कानफाड़ू आवाज में कुछ अहम खबरें दम तोड़ देती है. ऐसी ही एक खबर आई है कि, देश में पांच वर्ष से कम बच्चों की होने वाली मौतों में 69 प्रतिशत मौतें केवल कुपोषण के चलते हो रही है. यह सनसनीखेज खुलासा यूनाइटेड नेशन्स के नेतृत्व में बच्चों के लिए काम करने वाली विश्वस्तरीय संस्था यूनिसेफ की ओर से जारी एक रिपोर्ट में किया गया है. 


यूनिसेफ की ओर से दुनिया में बच्चों की स्थिति इस विषय पर एक रिपोर्ट हाल ही में प्रकाशित की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, इस समय भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के हर दो में से एक बच्चा किसी न किसी तरह के कुपोषण का शिकार है. इसके तहत 35 प्रतिशत बच्चे अच्छी तरह से नहीं बढ़ रहे है,

17 प्रतिशत बच्चों के अंगों के अंगों का तेजी से संघर्षण होना इन कुपोषणों के लक्षणों से ग्रसित पाया गया है. छह से 23 माह के 42 प्रतिशत बच्चों उचित समय पर खाना खिलाया नही जाता है, जबकि 21 प्रतिशत बच्चों को प्रचूर मात्रा में प्रोटिन से युक्त आहार नही मिल रहा. 2 प्रतिशत बच्चे ज्यादा वजन के पाए गए है. 6 से 8 महिनों की आयुगुट के 53 प्रतिशत बच्चों को ही पूरक पोषाहार समय पर शुरू किया जाता है.
पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में सूक्ष्म पोषकद्रव्यों की कमी की भी काफी समस्या है. पांच वर्ष से कम आयु के हर पांच में से एक बच्चे में अ जीवनसत्व की कमी है. तीन में से एक बच्चे में बी-12 जीवनसत्व की कमी है और हर पांच में से दो बच्चों को रक्तक्षय की बीमारी है. यह सारी बाते यूनिसेफ के सर्वेक्षण में सामने आई है.

69 percent of India's children die from malnutrition

माताओं के स्वास्थ्य पर भी चिंता

इस रिपोर्ट में केवल बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर जहां गंभीर तथ्यों को शामिल किया गया है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के स्वास्थ्य के संबंध में भी आंखें खोलने वाले खुलासे किए गए है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2 में से एक महिला को रक्तक्षय की बीमारी है, जिसमें शरीर के अंदर खून के थक्के जम जाते है. इसी के चलते पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में सबसे अधिक रक्तक्षय की बीमारी मौजूद है. रक्तक्षय की यह बीमारी किशोर लड़कियों में किशोर लड़कों से अधिक मात्रा में पाई गई है.

भारतीय बच्चों में उच्च रक्तचाप, किडणी की बीमारी और डाइबिटीजपूर्व स्थितियां इनका निदान होने लगा है, जबकि यह बीमारियां पहले प्रायः वयस्कों में पाई जाती थी. 

चौंकाने वाले तथ्य भी है रिपोर्ट में

इस रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत में ज्यादा वजन या मोटापे के चलते बच्चों में अभी से डाइबिटीज जैसे लक्षण दिखाई दे रहे है. इससे भविष्य में डाइबिटीज के मरिजों में देश में बढ़ोतरी होने का खतरा मंडरा रहा है. 

पोषण कार्यक्रमों की यूनिसेफ ने की तारीफ

हालांकि, इस रिपोर्ट में कुछ संतोषजनक तथ्यों का भी जिक्र किया गया है. जैसे भारत में कुपोषण मुक्ति के लिए चलाए जाने वाले पोषण आहार अभियान काफी अच्छी तरह से चलाया जा रहा है. साथ ही भारत में एनिमिया से मुक्ति के लिए जो भी कार्यक्रम चलाए जा रहे है, वे दुनिया में चल रहे कुछ बेहतरीन कार्यक्रमों में से एक है. 
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