मनपा प्रशासन की उदासीनता पर महापौर की नाराजगी
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दक्षिण पुणे के सबसे बड़े रिहाइशी इलाके को क्षति पहुंचाने वाले अम्बील ओढ़ा (Waterway) की बाढ़ को 3 महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक म्युनिसिपल कौंसिल द्वारा ठोस कदम ना उठाये जाने से जनता में रोष हैं.
खुद महापौर मुरलीधर ओहोळ ने कल २३ दिसंबर को इस परिसर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया. इस वक्त उन्होंने कारपोरेशन प्रशासन के ढूलमूल रवैय्ये पर नाराजगी जताई.
बाढ़ के ३ महीने बाद भी घरों का मलबा, बाढ़ में आया हुआ कचरा यहाँ तक बाइक और कार का मलबा भी उसी तरह पड़ा हुआ हैं. धीमी गति से चल रहे काम इस बात का संकेत दे रहे हैं की आपदा से झूझने के बजाय हम उसको सहजता से लेते हैं जिससे फिर से आनेवाले समय में फिर से नागरिकों के लिए यह धोखे की घंटी बज रही हैं.
पुणे सिटी पुलिस द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, शहर में हाल ही में आई बाढ़ में 26 लोगों की जान गयी थी. 2,344 वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे. वाहनों में 1,599 दोपहिया, 44 तीन-पहिया और 701 चार-पहिया वाहन शामिल हैं, जिनका अनुमानित रूप से मूल्य 6.57 करोड़ रुपये है.
पुलिस के अनुसार भारी वर्षा के बाद, एक धारा, अंबिल ओढा के अतिप्रवाह के कारण सहकारनगर क्षेत्राधिकार में सबसे अधिक नुकसान हुआ था. पुलिस के मुताबिक, सहकारनगर में 1,455 दोपहिया, 15 तीन-पहिया और 635 चार-पहिया वाहन, जिनकी अनुमानित लागत 2.74 करोड़ रुपये थी, क्षतिग्रस्त हो गए.
भारती विद्यापीठ में 95 दोपहिया, छह तीन-पहिया और 36 चार-पहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे. अंबिल ओढ़ा के अतिप्रवाह के कारण यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ. दत्तवाड़ी में तीन दोपहिया, 80 तीन पहिया और 13 चार पहिया वाहनों को भी नुकसान पहुंचा.
सिंहगढ़, कोंढवा और बिबवेवाड़ी में 46 दोपहिया, 15 तीन-पहिया और 16 चार-पहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गए.
वनावाडी में दो चार पहिया वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया.
इतनी बड़ी संख्या में जान और माल का नुक्सान होने के बाद भी प्रशासन अगर ठोस कदम नहीं उठता तो आनेवाले समय में इससे बड़ी आपदा का सामना नागरिकों को करना पड़ेगा यह तय हैं.
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