Special Report: देश की विकलांग स्वास्थ्य सुविधा से क्या हम वाकई में कोरोना संकट को मात दे सकते है?
आईसीएमआर की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य हुए उजागर
File Photo
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नई दिल्ली - इस समय पूरे विश्व में कोरोना वाइरस का संक्रमण एक महात्रासदी का रूप ले चुका है. पूरे विश्व में करीब 30 हजार से अधिक मौतें हो चुकी है और दिन-ब-दिन यह आंकड़ा बेहद तेजी से बढ़ता जा रहा है. भारत में भी कोरोना धीरे-धीरे अपने पांव पसार रहा है. देश में अब तक एक हजार से अधिक कोरोना के मामले सामने आए है और अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है.
लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई को सफल बनाने के लिए क्या वाकई में हमारे देश की स्वास्थ्य सक्षम है? जब इस सवाल की तह में जाने का हम प्रयास करते हैं, तो हमें इसका उत्तर नकारात्मक ही मिलता है. 1991 के बाद वैश्विकरण, उदारीकरण और निजीकरण की सरकारी नीतियों ने हमारे देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को करीब-करीब विकलांग ही बना दिया है.
ऐसी विकलांग स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना जैसी भयंकर महामारी का सामना करने के लिए कितनी सक्षम है, इस पर पिछले वर्ष 2019 में इंडियन काउन्सिल मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की रिपोर्ट आई थी, जिसमें दी गई जानकारी हमारे आंखें चौंकाने वाली तथा हमें अंतर्मुख करने वाली है.
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