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रिजर्व बैंक ने 50 डिफाल्टरों का 68 हजार से अधिक का कर्ज किया माफ

आरटीआई के खुलासे से सरकार की किरकिरी

The Reserve Bank forgave more than 68 thousand loans of 50 defaulters


मुंबई - एक आरटीआई द्वारा दी गई जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने देश के कुछ अमीर वीलफुल डिफाॅल्टरों का करीब 68 हजार 607 करोड़ का लोन राइट ऑफ़ (माफ) कर दिया है. इसमें  भारत के कई बड़े-बड़े नाम है और यह सभी जानबूझकर कर्ज डुबाने वाले पूंजिपति है. इस खुलासे के बाद रिजर्व बैंक तथा केंद्र सरकार की किरकिरी होना लाजमी है.


पिछले कुछ समय में देश के बड़े-बड़े उद्योगपति और अमीर व्यवसायियों द्वारा बैंकों को चूना लगाने की खबरें आ रही थी. कई सारे पूंजिपति तो हजारो करोड़ का कर्ज डूबोकर देश से बाहर भी भाग चुके है. ऐसे में देश के एक सूचना अधिकार कार्यकर्ता साकेत गोखले ने आरटीआई के जरिये रिजर्व बैंक से देश के 50 सबसे बड़े विलफूल डिफाॅल्टरों यानी जानबूझ कर कर्ज डूबोने वालों के नामों की सूचि मांगी थी.



इसके जवाब ने रिजर्व बैंक ने जो जानकारी दी है, उससे यह खुलासा होता है, कि देश के इन पूंजिपतियों के करीब 68 हजार 607 करोड़ रुपयों के लोन अब माफ कर दिए गए है. जाहीर कि अब इसकी वसूली आम खाताधारकों से ही होगी.

खास बात यह कि, यही जानकारी कुछ दिन पहले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने देश की अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन को मांगी थी, जिसे सार्वजनिक करने से देश की अर्थमंत्री ने नकार दिया था.


साकेत गोखले के आरटीआई एप्लिकेशन को रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने 24 अप्रैल को जवाब देकर विस्तार से जानकारी दी है. इसके बाद 27 अप्रैल को साकेत ने अपने ट्वीटर एकाउंट से रिजर्व बैंक और सरकार का पूरा कच्चा-चिठ्ठा खोल कर रख दिया है.

कौन-कौन है इस लीस्ट में

जिनके कर्ज आरबीआई द्वारा माफ किए गए उनमें सबसे प्रमुख नाम है, देश का कर्ज डूबोकर विदेश भागने वाले मेहूल चौक्सी का. मेहूल इस समय एंटिगा की नागरिकता ले चुका है. मेहूल की कंपनी गीतांजली का करीब 5 हजार 492 करोड़ रुपयों का कर्ज माफ किया गया है. इसके उसी की जिली (GILI) इंडिया के 1 हजार 447 करोड तथा नक्षत्र ब्राण्ड लिमिटेड के 1 हजार 109 करोड़ का कर्ज माफ किया गया है.

इस लीस्ट में दूसरे नंबर पर नाम आता है संदीप और संजय झुनझुनवाला की कंपनी आरईआई एग्रो लिमिटेड का 4 हजार 314 करोड़ तथा तिसरे नंबर पर जतीन मेहता की विन्सम डाइमंड्स का 4 हजार 76 करोड कर्ज माफ किया गया है. खास बात यह कि, इन तीनों की तलाश इस समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रही है, लेकिन फिर भी इनका कर्ज माफ हुआ है.

लिखते लिखते लव हो जाए, यह रोटोमैक पैन का विज्ञापन हम सभी ने टीवीपर देखा था. यह कंपनी कोठारी ग्रुप की है. इस ग्रुप के करीब 2 हजार 850 माफ किए गए है. कुडोस केमिकल के 2 हजार 326 करोड़, बाबा रामदेव के शिष्य आचार्य बालकृष्ण द्वारा स्थापित कंपनी रुची सोया इंडस्ट्रीज इंदौर के 2 हजार 212 करोड, झूम डेवलपर्स प्रा. लि. के 2 हजार 12 करोड़, किंगफिशर का मालिक विजय मल्या की कंपनी के 1 हजार 940 करोड, हरीश मेहता की फाॅरेवर प्रेशियस ज्वेलरी एण्ड डाइमंड के 1 हजार 962 करोड़ माफ किए गए.

एनपीए से बचने के लिए बैंकों की चालबाजी

जब कोई पूंजिपति बैंक से लोन लेता है और उसे नहीं चुकाता तो वह लोन बैंकों के एनपीए (नाॅन परफाॅर्मिंग असेट्स) में चला जाता है. ऐसे में इसका बुरा असर बैंकों की बैलेन्स शीट पर पड़ता है. ऐसे में बैंक्स इस लोन को राइट ऑफ की संज्ञा में डाल देता है, जिससे इसका असर उनके बैलेन्स शीट पर नहीं होता.

इसी चालबाजी के तहत यह कर्ज राइट ऑफ़ किए गए है. यानी इस कर्ज की वसुली की प्रक्रिया शुरू रहती है, लेकिन इसे डूबते कर्ज में नहीं दिखाया जाता. आज तक का इतिहास है कि, राइट ऑफ़ किए गए लोन में से मात्र 15 से 20 प्रतिशत की वसूली होती है. यानी बाकी सब पैसा पूंजिपति हजम कर जाते है. जाहीर है कि, इस लोन के वितरण में बैंकों के मैनेजमेंट और वरिष्ठ अधिकारियों की की मिलिभगत रहती है. राइट ऑफ़ की इस चालबाजी के चलते बैंक अपने खाताधारकों और डिपाॅजीटरों के आंखों में धूल झोंकने का काम करते है.

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