बलोचिस्तान के मुद्दे पर इरान-पाकिस्तान में फिर ठनी
नई दिल्ली - पाकिस्तान का अशांत क्षेत्र कहे जाने वाले बलोचिस्तान में पाकिस्तानी सेना तथा ईरानी सेना पर होने वाले हमलों को लेकर फिर एक बार ईरान और पाकिस्तान में ठन गई है. दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने मुलाकात कर एक-दूसरे को चेतावनी देते हुए अपने-अपने सैनिकों पर होने वाले हमलों को एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है. इसी मुद्दे को लेकर अब दोनों देशों में तल्खियां काफी बढ़ गई है.
ज्ञात हों कि, पाकिस्तान का क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और प्राकृतिक संपदाओं से लैस बलोचिस्तान प्रांत पिछले सात दशकों से अशांति की आग में झुलस रहा है. पाकिस्तानी सेना तथा खुफिया एजेन्सी आईएसआई द्वारा वहां की प्राकृतिक संपदाओं का दोहन करता है, जिसका वहां के लोग विरोध करते है. इसलिए वहां के लोगों पर पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के अफसरान भयंकर जुल्म ढहाते है, जिसके चलते वहां पर अलगाववाद को हवा मिली, जिससे बलुचिस्तान लीबरेशन आर्मी का जन्म हुआ.
हाल ही में बलोचिस्तान में पाकिस्तान आर्मी के फ्रंटियर कॉर्प्स पर हुए हमले में पाकिस्तान के छह जवान मारे गए. इसी हमले का आरोप पाकिस्तान ईरान पर मढ़ रहा है. पाकिस्तान अपने पापों को छुपाने के लिए हमेशा बलोचिस्तान में बाहरी शक्तियों का हाथ होने की बात कहता रहा है. इसके लिए वह कभी भारतीय खुफिया एजेन्सी ‘रॉ’ पर आरोप मढ़ता रहा है तो कभी ईरानी सेना पर.
पाकिस्तान आर्मी पर हाल ही में हुए बलोच लीबरेशन आर्मी के हमले को लेकर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर बजवा और ईरानी सेना प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बकेरी ने एक-दूसरे से मुलाकात की. इस बैठक में दोनों ही सैन्य अधिकारियों में बलोचिस्तान में हो रहे हमलों लेकर विस्तार से चर्चा हुई.
वास्तविकता में पाकिस्तान और ईरान के संबंधों में तनातनी उस समय बढ़ गई थी, जब कोरोना के संकट में ईरान ने करीब 5 हजार पाकिस्तानी नागरिकों को अपने देश से पाकिस्तान में हकाल दिया था. पाकिस्तान का आरोप है कि, इन लोगों की वजह से ही पाकिस्तान में कोरोना का फैलाव हुआ. आज पाकिस्तान में कोरोना के चलते करीब 900 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन सूत्रों की मानें तो यह आंकड़ा इससे कही अधिक है.
पाकिस्तान में भी कई ऐसे सुन्नी चरमपंथी उग्रवादी संगठन है, जोकि शियाबहुल इरान के खिलाफ हमेशा जहर उगलते रहते है और इरान को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते रहते है. पिछले वर्ष ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड पर हुए हमले में 27 जवानों की मौत हो गई. इस घटना के बाद ईरान पाकिस्तान के खिलाफ काफी झल्ला उठा था और उसे पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी दी थी.
वैसे भी पाकिस्तान पिछले 70 वर्षों से अमरीकापरस्त नीतियां अपनाता रहा है. साथ ही उसके सउदी अरब के साथ भी काफी अच्छे रिश्ते है. सउदी अरब इरान कट्टर दुश्मन है. सउदी अरब मध्यपूर्व में यमन से लेकर ईरान तक शियाबहुल देशों को कमजोर करने का प्रयास करता रहता है.
कट्टर वहाबी सुन्नी होने के बावजूद भी सउदी अरब ने अमरीका से लेकर इजरायल तक देशों के साथ मधूर संबंध बना लिए है, जिससे सउदी के खिलाफ इस्लामिक जगत में गुस्सा उबल रहा है. इस उबलते हुए ज्वालामुखी का नेतृत्व इरान कर रहा है. यह सारी बाते ईरान और पाकिस्तान के बीच तनातनी पैदा करने के लिए काफी है. पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थक रहा है. यह बात भी ईरान को काफी नागंवार गुजरती रहती है.
इसके अलावा भारत और ईरान के संबंध सदियों से अच्छे रहे है. चीन द्वारा पाकिस्तान में ग्वादार बंदरगाह तैयार करने की प्रक्रिया को शह देने के लिए भारत भी ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित कर रहा है. यह सारी बातें भी पाकिस्तान और इरान के झुलसते हुए संबंधों में घी डालने का काम करते है. जहां तक पाकिस्तान और इरान के तनावपूर्ण संबंध भारत के लिए निश्चित ही अनुकूल कहे जा सकते है.
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