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लॉक डाउन ने छीना देश के 67 प्रतिशत श्रमिकों का रोजगार

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सर्वेक्षण में हुआ खुलासा

The lock down took away 67 percent of the country's employment

बेंगलुरू - कोरोना वाइरस का प्रकोप शुरू होने के बाद देशभर में घोषित लॉक डाउन के चलते ज्यादातर उद्योग और प्रतिष्ठानों पर ताले लगे हुए है. इस स्थिति में देशभर के करीब 67 प्रतिशत श्रमिकों का रोजगार छीन गया है. इस संदर्भ में जानकारी अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा 12 राज्यों में किए गए सर्वेक्षण में सामने आई है. पीटीआई द्वारा दी गई जानकारी के बाद इसके संदर्भ में ‘द वायर’ ने विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित की है.

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, लॉक डाउन के चलते देश के श्रमिकों की स्थिति का आकलन करने के लिए यह सर्वेक्षण किया गया. देश के आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना तथा पश्चिम बंगाल में टेलिफोनिक तरीके से किए गए इस सर्वेक्षण में करीब 4 हजार श्रमिकों से फोन पर संपर्क साधते हुए जानकारी जुटाने का काम किया गया.

इस पूरे सर्वेक्षण में काफी गंभीर जानकारी सामने आई. इसके मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 10 में से 8 श्रमिकों यानी करीब 80 प्रतिशत  को अपना रोजगार गंवना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र में इसकी संख्या शहरी बेरोजगारी से कम रही. ग्रामीण इलाकों में रोजगार गंवाने वाले श्रमिकों की संख्या 57 प्रतिशत रही.

कुछ खास समय में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भी लॉक डाउन के समय में काफी कम हो गई. फरवरी में जहां यही मजदूरी 940 रुपये थी, वहीं मई के महिने में लगभग आधी यानी केवल 495 रुपये हो गई है. इसके अलावा गैरकृषि स्वनियोजित श्रमिकों की आय में तो 90 प्रतिशत तक गिरावट हुई.

रिपोर्ट में बताया गया है कि, लॉक डाउन के चलते श्रम निर्माण के कार्य में काफी बड़ी बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे श्रमिकों की आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इसका अर्थव्यवस्था पर गहरा असर होगा. इससे निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों की गति काफी धीमी है और नाकाफी भी है.

देश के ज्यादातर श्रमिकों के हाथों में इस समय कोई काम या पैसा भी नहीं है. इस स्थिति में उनपर भूखमरी की नौबत आ सकती है. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कम से कम अगले छह माह तक रोजगार का निवाला खो चुके श्रमिकों के पेट की आग बुझाने के लिए उन्हें नि:शुल्क राशन और प्रति माह कम से कम 7 हजार रुपये नकद हस्तांतरण किया जाए. इससे श्रमिकों की गंभीर स्थिति में काफी सुधार हो सकता है, ऐसी सिफारिश इस रिपोर्ट में की गई है.

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