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टीवी उद्योग को कथाकारों ने बनाया है, प्रोड्यूसर्स ने नहीं : अनंत महादेवन

मुंबई, 9 जून (आईएएनएस)। अभिनेता-फिल्म निर्माता अनंत महादेवन ने 1983 से अब तक भारतीय टेलीविजन में आए उतार-चढ़ाव पर आधारित वन्स अपॉन ए प्राइम टाइम नाम से एक किताब लिखी है। उनका कहना है कि दैनिक धारावाहिक वर्तमान में अपना गौरव खो चुके हैं। अस्सी और नब्बे के दशक में टीवी मनोरंजन में क्रांति लाने वाले श्याम बेनेगल, बसु चटर्जी और अजीज मिर्जा जैसे अच्छे कहानीकारों की कमी के कारण ऐसा हुआ।

अनंत ने एक कारण खोजा कि क्यों टीवी सीरीज को दरकिनार कर वेब सीरीज ने केन्द्र की जगह ले ली है। अनंत ने आईएएनएस को बताया, हमें यह समझना होगा कि फिल्म निमार्ताओं और कहानीकारों ने टेलीविजन मनोरंजन को दिलचस्प बनाया है, कार्यकारी निमार्ताओं ने नहीं।

उन्होंने कहा, मुझे उन तीन फिल्मकारों के नाम बताइए, जो अब टीवी सीरीज के साथ निर्देशन कर रहे हैं और अपनी पहचान बना रहे हैं। पहले लोग एक टीवी धारावाहिक के निर्देशक को जानते थे जो वे देखते थे। इन दिनों दर्शकों को यह नहीं पता है कि निर्देशक कौन है। वे जानते हैं कि निमार्ता कौन है। वे अभिनेता को जानते हैं, लेकिन ऐसी कोई चीज नहीं है जो एक शो को दूसरे से अलग करता है। टेलीविजन वास्तव में 2002 के बाद ढह गया है।

अनंत ने अपनी पुस्तक में भारतीय टेलीविजन शो, प्रतिष्ठित फिल्म निमार्ताओं द्वारा शुरू किए गए प्रायोजित कार्यक्रम और हम हिंदुस्तानी, भूतनाथ, नाचनेवाला गानेवाले, महानगर और खंडन जैसे टीवी धारावाहिकों का हिस्सा बनने के अपने व्यक्तिगत अनुभव को समेटने की कोशिश की है। उन्होंने आर. माधवन की विशेषता वाली कॉमेडी श्रृंखला घर जमाई के 1997 संस्करण का भी निर्देशन किया।

हिंदी फिक्शन टेलीविजन में क्या गलत हुआ? इस पर अनंत कहते हैं कि हर दिन 20-मिनट के एपिसोड को बनाने का दबाव था ना कि उसकी गुणवत्ता न गिरने देने की बाध्यता। ये कारखाने आउटलेट से निकल रहे थे न कि एक रचनात्मक आउटलेट से?

बता दें कि फिल्म निर्माता अनंत महादेवन ने मी सिंधुताई सपकाल में अपने मराठी निर्देशन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है।



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The TV industry has been made by the narrators, not by the producers: Anant Mahadevan
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