चीनी मांजा विक्रेताओं पर कठोर कार्रवाई की जाए
डॉ. गंगवाल की मांग, पंछियों के बचाव के लिए सर्व जीव मंगल प्रतिष्ठान द्वारा हेल्पलाइन
डॉ. कल्याण गंगवाल ने कहा कि, जनवरी महीने में ही लोग पतंग उड़ाना शुरू कर देते है. बाजार में अलग अलग तरह का मांजा उपलब्ध है. बोहरी गली के साथ शहर और उपनगर के छोटे-बड़े हर दुकान में यह मांजा बेचा जाता है. इसमें ज्यादातर मांजा चीनी और नायलॉन का होता है.
यह मांजा काफी जानलेवा है. पुणे, नासिक, नागपुर के साथ अन्य शहरों में मांजे से गला कटने से कई लोगों की जान चली गई है. ऐसे मांजे उत्पादन, बिक्री, जमाखोरी, खरेदी और उपयोग कानूनन प्रतिबंधित हैं.
इस तरह का चीनी मांजा मिलने पर संबंधित व्यक्ति को पाँच साल की सजा और एक लाख के जुर्माने की सजा है. हालाँकि, सरकारी तंत्र की ढिलाई के कारण यह मांजा बाजार में बेचा जा रहा है. इसलिए, प्रशासन को पिछली दुर्घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए, चीनी मांजा के विक्रेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) को भी इस मामले में ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि, इस मांजे के शिकार कई बार पक्षी भी होते है. इन घायल पंछियों को बचाने के लिए सर्वजीव मंगल प्रतिष्ठान १८ साल से काम कर रही है. सात साल में २०० पंछियों को संस्था ने बचाया है.
इस साल भी एक एम्बुलेंस, पशु चिकित्सक डाक्टर, और चार पाँच कार्यकर्ता एक महीने तक यह बचाव अभियान चलाएंगे. इसके लिए हेल्पलाइन शुरू की गई है, डॉ. गंगवाल (९८२३०१७३४३) को घायल पक्षियों के बारे में जानकारी दी जाए. इस अभियान में अहिंसा प्रेमी, पक्षी प्रेमी लोग मदद करें, ऐसा आवाहन डॉ. गंगवाल ने किया है.
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