विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान, अत्यंत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं भारत-चीन के संबंध
भारत और चीन के रिश्तो में लगातार उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। हालांकि, दोनों देशों के रिश्तो में कड़वाहट 2020 में एलएसी पर उपजे गतिरोध की वजह से और बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच अब तक 16 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन कोई निर्णायक नतीजा नहीं निकल सका है। चीन अपनी विस्तारवादी नीति पर अधिक है। दूसरी ओर भारत चीन की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। इन सबके बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर थाईलैंड पहुंचे हैं। थाईलैंड में एक वक्तव्य के दौरान उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वर्तमान में भारत-चीन संबंध अत्यंत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है चीन ने सीमा पर जो किया है, उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़े हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने यह भी कह दिया कि अगर दोनों पड़ोसी देश हाथ नहीं मिलाते हैं तो एशियाई शताब्दी नहीं आएगी।
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अपने आप में एस जयशंकर का यह बयान काफी अहम है। विदेश मंत्री के इस बयान से साफ तौर पर जाहिर होता है कि अभी भी भारत और चीन के रिश्तों में एलएसी पर कड़वाहट जारी है। दरअसल, विदेश मंत्री प्रतिष्ठित चुलालांगकोर्न विश्वविद्यालय में ‘हिंद-प्रशांत का भारतीय दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। इसी दौरन उनसे भारत-चीन संबंध को लेकर सवाल पुछे गए थे। जयशंकर ने कहा कि एशियाई शताब्दी तब होगी जब चीन और भारत साथ आएंगे लेकिन यदि भारत और चीन साथ नहीं आ सके तो एशियाई शताब्दी मुश्किल होगी। चीन और भारत के सैनिक पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से गतिरोध की स्थिति में हैं। दोनों पक्षों ने पांच मई, 2020 को उपजी गतिरोध की स्थिति के समाधान के लिए अब तक 16 दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता की है। पैंगांग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद गतिरोध पैदा हुआ था। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर भारत और चीन को साथ में आना है तो इसके कई कारण हैं, केवल श्रीलंका ही नहीं।
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जयशंकर ने कहा कि हाथ मिलाना भारत और चीन के खुद के हित में है। उन्होंने एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि हमें पूरी तरह से आशावान हैं कि चीनी पक्ष इसे समझेगा। जयशंकर ने कहा कि भारत ने श्रीलंका की सहायता के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने श्रीलंका को 3.8 अरब डॉलर की सहायता दी है। उन्होंने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में श्रीलंका को जो भी मदद दे सकते हैं, स्वाभाविक रूप से देंगे। रोहिंग्या शरणार्थियों के विषय पर जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश के साथ इस विषय पर बातचीत हुई है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने रूस से छूट पर तेल आयात करने के मामले में हो रहीं आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि केवल भारत ही तेल आयात करने वाला देश नहीं हैं।
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