सपा संस्थापक और उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन
समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक,उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री, अपने प्रदेश की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। पूर्व रक्षामंत्री यादव को अगस्त महीने मेंगुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था और दो अक्टूबर को उन्हें सघन चिकित्सा इकाई में स्थानांतरित किया गया था।
सपा के आधिकारिक हैंडल से किए गए ट्वीट में सपा अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे।’’ उनके निधन पर विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है और उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। सोमवार शाम को यादव का पार्थिव शरीर उत्तर प्रदेश के इटावा स्थित उनके पैतृक गांव सैफई लाया गया और आम लोगों के दर्शन के लिए एक पंडाल में रखा गया हैं।
अपने पिता के पार्थिव शरीर को देख अखिलेश यादव रो पड़े और उनके चाचा शिवपाल यादव उनके कंधे पर हाथ रखकर ढांढस बंधाते दिखे। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के कुछ नेता भी मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर को उनके पैतृक गांव सैफई में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
मुलायम सिंह यादव का यह गांव जसवंत नगर विधानसभा क्षेत्र के अतंर्गत आता है, जहां से वर्ष 1967 में वह पहली बार विधायक चुने गए थे। उस समय वह राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अनेक नेताओं ने यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने मुलायम सिंह यादव के निधन को देश के लिए ‘‘अपूरणीय क्षति’’ बताते हुएट्वीट किया, ‘‘मुलायम सिंह यादव का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। साधारण परिवेश से आए मुलायम सिंह यादव जी की उपलब्धियां असाधारण थीं।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ ‘धरती पुत्र’ मुलायम जी जमीन से जुड़े दिग्गज नेता थे। उनका सम्मान सभी दलों के लोग करते थे। उनके परिवार-जन एवं समर्थकों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘मुलायम सिंह यादव जी एक उल्लेखनीय व्यक्तित्व थे। उन्हें एक विनम्र और जमीन से जुड़े नेता के रूप में व्यापक रूप से सराहा गया, जो लोगों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील थे। उन्होंने लगन से लोगों की सेवा की और लोकनायक जयप्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया के आदर्शों को लोकप्रिय बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।’’ ‘
भारत जोड़ो’ यात्रा के तहत इस समय कर्नाटक में मौजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुलायम सिंह यादव के लिए पांच मिनट की प्रार्थना सभा की। मुलायम सिंह यादव की मौत की खबर सुनने के कुछ समय बाद ही गृह मंत्री अमित शाह अस्पताल गए और सपा अध्यक्ष और मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव और उनके परिवार से मुलाकात की। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी भी अस्पताल पहुंचे। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने राज्य का सबसे प्रमुख सियासी कुनबा भी बनाया।
यादव 10 बार विधायक रहे और सात बार सांसद भी चुने गए। वह तीन बार (वर्ष 1989-91, 1993-95 और 2003-2007) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 1996 से 98 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे। एक समय उन्हें प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी देखा गया था। यादव दशकों तक राष्ट्रीय नेता रहे, लेकिन उत्तर प्रदेश ही ज्यादातर उनका राजनीतिक ‘अखाड़ा’ रहा। समाजवाद के प्रणेता राम मनोहर लोहिया से प्रभावित होकर सियासी सफर शुरू करने वाले यादव ने उत्तर प्रदेश में ही अपनी राजनीति निखारी और तीन बार प्रदेश की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे।
वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में आने के बाद भी मुलायम सिंह यादव पार्टी समर्थकों के लिए नेताजी बने रहे और मंच पर उनकी मौजूदगी समाजवादी कुनबे को जोड़े रखने की उम्मीद बंधाती थी। समाजवादी मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक संभावनाओं को हमेशा खोल कर रखा और वह हर अवसर का इस्तेमाल करने वाले राजनेता रहे। जोड़-तोड़ की राजनीति में भी माहिर माने जाने वाले यादव समय-समय पर अनेक पार्टियों से जुड़े रहे। इनमें राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल, भारतीय लोक दल और समाजवादी जनता पार्टी भी शामिल हैं।
उसके बाद वर्ष 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया। यादव ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने या बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से भी समझौते किए। वर्ष 2019 में संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में दोबारा वापसी का ‘आशीर्वाद’ देकर उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने यह बयान तब दिया जब भाजपा को उत्तर प्रदेश में सपा का मुख्य प्रतिद्वंदी दल माना जा रहा था।
उनके इस बयान से तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगी थीं। वर्ष 2014 में एक रैली में दिए गए उनके एक बयान को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी, जिसमें उन्होंने बलात्कार के दोषियों को फांसी दिए जाने का विरोध करते हुए कहा था कि ‘‘लड़कों से गलती हो जाती है।’’ यादव ने भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश का एक परिसंघ बनाए जाने की भी वकालत की थी। बेहद जुझारू नेता माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा देश में आपातकाल घोषित किए जाने का कड़ा विरोध किया। वर्ष 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद वह लोकदल की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने।
सियासत की नब्ज जानने की बेमिसाल योग्यता रखने वाले यादव वर्ष 1982 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुने गए और और इस दौरान वह वर्ष 1985 तक उच्च सदन में विपक्ष के नेता भी रहे। वह वर्ष 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। भाजपा ने उनकी सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। इसी दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन ने तेजी पकड़ी और देश-प्रदेश की राजनीति इस मुद्दे पर केंद्रित हो गई। अयोध्या में कारसेवकों का जमावड़ा लग गया और उग्र कारसेवकों से बाबरी मस्जिद को ‘बचाने’ के लिए 30 अक्टूबर 1990 को पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें पांच कारसेवकों की मौत हो गई।
इस घटना के बाद भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और मुलायम की सरकार गिर गई। नवंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव बसपा के समर्थन से एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बाद में समर्थन वापस लिये जाने से उनकी सरकार गिर गई। उसके बाद यादव ने राष्ट्रीय राजनीति का रुख किया और 1996 में मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते। विपक्षी दलों द्वारा कांग्रेस का गैर भाजपाई विकल्प तैयार करने की कोशिशों के दौरान मुलायम कुछ वक्त के लिए प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर भी नजर आए। हालांकि, वह एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व में बनी यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए।
रूस के साथ सुखोई लड़ाकू विमान का सौदा भी उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था। बाद में मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति का रुख किया और वर्ष 2003 मेंबसपा-भाजपा की सरकार गिरने के बाद तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2007 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बसपा की सरकार बनने पर वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला। उस वक्त भी मुलायम सिंह यादव के ही मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावना थी, लेकिन उन्होंने अपने बड़े बेटे अखिलेश यादव को यह जिम्मेदारी सौंपी और अखिलेश 38 वर्ष की उम्र में प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। बीमारी के दौर में मुलायम सिंह की पार्टी संबंधी मामलों में भूमिका सीमित हो गई जिसकी स्थापना उन्होंने स्वयं की थी।
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