Parkash Singh Badal Passes Away: सरपंच से सीएम तक, 10 बार एमएलए रहे, ऐसा रहा प्रकाश सिंह बादल का सियासी सफर

Parkash Singh Badal Passes Away: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया है। प्रकाश सिंह बादल कई दिनों से मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने 95 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। वे भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे। जिन्होंने देश के लिए बहुत योगदान दिया। बादल ने पंजाब की प्रगति के लिए अथक परिश्रम किया और कठिन समय में राज्य को सहारा दिया। प्रकाश सिंह बादल एक राजनीतिक दिग्गज थे। उन्होंने कई दशकों तक पंजाब की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने लंबे राजनीतिक और प्रशासनिक करियर में किसानों और हमारे समाज के अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई उल्लेखनीय योगदान दिए। उन्होंने ने अपना राजनीतिक करियर सरपंच बनने से शुरू किया था। इसके बाद सीएम से लेकर मंत्री पद तक पहुंचे।
पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे
वरिष्ठ अकाली दल नेता प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल उनके बेटे हैं। प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के छोटे से गांव अबुल खुराना के जाट सिख परिवार में हुआ था। शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक बादल को पंजाब की सत्ता में बेताज बादशाह कहा जाता था।
देश के सबसे कम और उम्रदराज सीएम
प्रकाश सिंह बादल साल 1970 में पहली बार सीएम बने तो वो देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री थे। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 43 साल थी। खास बात यह भी है कि जब वो साल 2012 में 5वीं बार सीएम बने तो वो देश के सबसे उम्रदराज सीएम बने थे। साल 2022 में भी वो चुनाव लड़े थे तो उस वक्त वो सबसे उम्रदराज उम्मीदवार रहे थे।
सबसे कम उम्र के सरपंच
प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में अपनी राजनीति पारी की शुरुआत की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव में जीत दर्ज की थी। उस समय बादल सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। तब उनकी उम्र महज 20 साल थी। साल 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।
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10 बार पंजाब विधानसभा में उन्होंने लांबी का प्रतिनिधित्व
सरपंच चुने जाने के कुछ समय बाद ही वे लांबी ब्लॉक समिति के प्रधान चुन लिए गए. इसके बाद उन्होंने मुड़कर पीछे नहीं देखा। पहली बार 1957 से लेकर 2017 तक 10 बार पंजाब विधानसभा में उन्होंने लांबी का प्रतिनिधित्व किया। साल 1957 में वो पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए। साल 1960 में फिर से उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद 1969 में फिर से वो पंजाब विधानसभा से निर्वाचित हुए।
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