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Prabhasakshi NewsRoom: China न फर छड जसस गबबर Indo-US क बच अहम रकष करर स उड Xi Jinping क नद

अभी हाल ही में विश्व राजनीति के लिहाज से दो बड़े घटनाक्रम हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा से भारत-अमेरिका रिश्तों में मजबूती तो आई ही साथ ही दोनों देशों के बीच जो अहम रक्षा करार हुए हैं उसने चीनी नेतृत्व के माथे पर पसीना ला दिया है। इसके अलावा, हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री की चीन यात्रा के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिस तरह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तानाशाह करार दिया उससे स्पष्ट हुआ कि अमेरिका और चीन के संबंध बेहद खराब दौर में पहुँच गये हैं। इस बीच बीबीसी की रिपोर्ट से चीन की हरकतों का जो खुलासा हुआ है उसको देखते हुए यह तय है कि ड्रैगन के खिलाफ अमेरिका अब और कड़ा रुख अपना सकता है।

बीबीसी की ताजा रिपोर्ट

हम आपको बता दें कि ब्रिटिश मीडिया ने जापान और ताइवान समेत अन्य देशों के ऊपर चीन द्वारा जासूसी गुब्बारे उड़ाए जाने के नए सबूत दिए हैं। हम आपको यह भी याद दिला दें कि कुछ महीनों पहले अमेरिकी तट पर ऐसा ही एक गुब्बारा गिराए जाने के बाद से अमेरिका-चीन के संबंधों में पहले से ही खटास चल रही है। बीबीसी को पूर्वी एशिया पार करते गुब्बारों की कई तस्वीरें मिली हैं। उसे उपग्रहों द्वारा लिए गए भारी संख्या में आंकड़ों की जांच करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी सिंथेटिक के साथ काम करते हुए ये तस्वीरें मिली हैं। बीबीसी की खबर के मुताबिक, कंपनी के संस्थापक कोरे जैसकोलस्की को एक गुब्बारे के सितंबर 2021 में उत्तरी जापान को पार करने का सबूत मिला है। इन तस्वीरों को पहले प्रकाशित नहीं किया गया। जैसकोलस्की का यह भी मानना है कि सबूतों से पता चलता है कि इस गुब्बारे को चीन के अंदरूनी क्षेत्र से छोड़ा गया था। 

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi Exclusive: US-China के तेजी से बिगड़ते रिश्तों से आखिर India को क्या-क्या बड़े लाभ हो रहे हैं?

हम आपको बता दें कि अमेरिका-चीन के संबंध इस साल फरवरी में तब और बिगड़ गए थे जब तीन बसों के आकार जितना बताए जाने वाले चीन के एक जासूसी गुब्बारे को अमेरिकी सैनिकों ने अटलांटिक महासागर के तट पर मार गिराया था। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अमेरिकी वायु क्षेत्र में दिखा गुब्बारा असैन्य उद्देश्य वाला था, जिसका इस्तेमाल मौसम विज्ञान जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किया गया। जैसकोलस्की के विश्लेषण से पता चलता है कि फरवरी में अमेरिकी क्षेत्र में उड़ान भरने वाला गुब्बारा एक वक्त में मोंटाना राज्य में परमाणु वायु रक्षा प्रतिष्ठान से महज 130 किलोमीटर दूर था।

इस बीच, लंदन में चीन के दूतावास ने एक बयान में अमेरिका पर बड़ी संख्या में अत्यधिक ऊंचाई पर गुब्बारे छोड़ने का आरोप लगाया जिन्होंने लगातार विश्व को घेरा है और गैरकानूनी तरीके से चीन के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरी है। बीबीसी ने चीनी दूतावास के बयान के हवाले से कहा, ‘‘चीन एक जवाबदेह देश है जो अंतरराष्ट्रीय कानून का हमेशा सख्ती से पालन करता है और सभी देशों की संप्रभुत्ता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है।''

भारत-अमेरिका रिश्तों से परेशान हुआ चीन

जहां तक भारत और अमेरिका के प्रगाढ़ होते रिश्तों से चीन को मिर्ची लगने की बात है तो आपको बता दें कि उसने कहा है कि देशों के बीच सहयोग से न तो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को कमजोर किया जाना चाहिए और न ही किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाया जाना चाहिए। चीन की यह प्रतिक्रिया भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुए विभिन्न रक्षा और वाणिज्यिक समझौतों के परिप्रेक्ष्य में आई है। इन समझौतों में लड़ाकू विमानों के लिए एफ414 जेट इंजनों का संयुक्त उत्पादन एवं सशस्त्र ड्रोन की खरीद शामिल है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘चीन का यह लंबे समय से रुख रहा है कि राष्ट्रों के बीच सैन्य सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करने के लिए नहीं होना चाहिए, साथ ही, किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए या किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।’’ हम आपको बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने रूस की एक सरकारी समाचार एजेंसी के सवाल के जवाब में यह बात कही। प्रवक्ता ने कहा, "हमें उम्मीद है कि संबंधित देश क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के मामले में क्षेत्रीय देशों के बीच आपसी विश्वास के अनुकूल काम करेंगे।" 


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