भारत-वियतनाम सामरिक साझेदारी ‘क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति का स्रोत’: विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और वियतनाम की व्यापक सामरिक साझेदारी क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति के स्रोत के रूप में उभर रही है। जयशंकर ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब उन्होंने भारतीय प्रशिक्षण जहाज ‘आईएनएस सुदर्शिनी’ का दौरा किया। संयोगवश, पोत वियतनाम की उनकी चार-दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दौरान स्थानीय बंदरगाह पर था। विदेश मंत्री ने ‘आईएनएस सुदर्शिनी’ पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘‘वियतनाम एकमात्र राष्ट्र है, जिसे भारत ने पूरी तरह से संचालित मिसाइल ‘कार्वेट’ आईएनएस कृपाण उपहार में दिया है। इस प्रकार के सहयोग हमारे रक्षा संबंधों को और मजबूत कर सकते हैं। इसलिए, आज जब ‘आईएनएस सुदर्शिनी’ हो ची मिन्ह सिटी में है, तो मैं कहना चाहता हूं कि हमारी बढ़ती साझेदारी की मजबूत और अनुकूल हवाएं हमारे बढ़ती साझेदारी को और तेज गति प्रदान करने में मदद करेंगी।’’
उन्होंने कहा, ब्रीफिंग से मुझे जो समझ आया, यह प्रशिक्षण जहाज अनुशासन, कड़ी मेहनत, अनुकूलन की क्षमता और अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करने के साहस के महत्व पर प्रकाश डालता है। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारी रक्षा गतिविधियां रक्षा उद्योग के क्षमता निर्माण, संयुक्त राष्ट्र शांतिसेना, पनडुब्बी और पायलट प्रशिक्षण और निश्चित रूप से द्विपक्षीय जहाज यात्राओं और युद्धाभ्यासों के व्यापक विस्तार तक फैली हुई हैं।’’ जयशंकर ने ‘आईएनएस सुदर्शिनी’ पर कार्यक्रम के तुरंत बाद, अपनी यात्रा की तीन तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आईएनएस सुदर्शिनी का दौरा करके खुशी हुई, जो आज सुबह हो ची मिन्ह सिटी बंदरगाह पहुंचा। इसकी यात्रा हमारी लंबी समुद्री परंपरा की पुष्टि करती है। हमारी व्यापक सामरिक साझेदारी क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति के स्रोत के रूप में उभर रही है।’’
जयशंकर ने चालक दल के युवा सदस्यों, वियतनामी सैन्यकर्मियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने अपने वियतनामी समकक्ष बुई थान सोन के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। दोनों मंत्रियों ने आर्थिक, व्यापार, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की 18वीं बैठक की सह-अध्यक्षता की और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग सहित भारत-वियतनाम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर हुई प्रगति की समीक्षा की। जयशंकर ने प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह से भी मुलाकात की और वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के ‘बाह्य संबंध आयोग’ के अध्यक्ष ले होई ट्रुंग के साथ भी चर्चा की। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार पर आम चिंताओं के बीच बढ़ती द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के प्रतिबिंब के रूप में, भारत द्वारा वियतनामी सशस्त्र बलों को आईएनएस कृपाण उपहार में देने के तीन महीने से भी कम समय के भीतर जयशंकर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस दक्षिण पूर्व एशियाई देश की यात्रा कर रहे हैं।ऐसा पहली बार हुआ था कि भारत ने किसी मित्र देश को पूरी तरह से परिचालित ‘कार्वेट’ (एक तरह का लड़ाकू युद्धपोत) सौंपा है। जयशंकर वियतनाम के बाद दो-दिवसीय यात्रा पर (19-20 अक्टूबर) सिंगापुर जायेंगे।
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