Pune

[Pune][bleft]

Maharashtra

[Maharashtra][bleft]

National

[National][bleft]

International News

[International][bleft]

Editor's picks

[Editor's pick][bleft]

इन नीतियों से दुनिया में बढ़ी भारतीय अर्थव्यस्था की धाक, चूक गया MSME

2023 में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जब संकट के दौर से गुजर रही थीं तो भारत ही एकमात्र ऐसा देश था जो निवेशकों का बड़ा सहारा बना। देश में चल रही योजनाओं को जाति और धर्म से ऊपर उठकर चार वर्गों के लिए चलाया गया। मोदी

2023 में अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जब संकट के दौर से गुजर रही थीं तो भारत ही एकमात्र ऐसा देश था जो निवेशकों का बड़ा सहारा बना। देश में चल रही योजनाओं को जाति और धर्म से ऊपर उठकर चार वर्गों के लिए चलाया गया। मोदी सरकार ने देश में महंगाई की रफ्तार को बढ़ने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया। आयात निर्यात से लेकर विनिवेश तक मोदी सरकार नीतियों की धाक दिखाई दी।

 

1. 4 जातियों पर जोर : मोदी सरकार ने सरकारी योजनाओं को युवा, किसान, गरीब और महिलाएं पर केंद्रीय किया।  इससे सरकार का फोकस इन पर बढ़ा। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ये चारों जातियां जब सारी समस्याओं से मुक्त होंगी और सशक्त होंगी तो स्वाभाविक रूप से देश की हर जाति सशक्त होगी, पूरा देश सशक्त होगा। पूरे देश में सरकार की प्रमुख योजनाओं की संपूर्ण पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ भी शुरू की गई। 

  

2. रिजर्व बैंक पॉलिसी : जब दुनियाभर में महंगाई अपने पैर पसार रही थी तो रिजर्व बैंक ने अपनी सख्‍त मौद्रिक नीति की मदद से देश में महंगाई दर को नहीं बढ़ने दिया। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी। प्याज और सब्जियों के दाम बढ़ने से नवंबर में यह बढ़कर 0.26 प्रतिशत हो गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2024 में देश में रिटेल महंगाई दर स्थिर यानी 5.40 फीसदी रहने का अनुमान  जताया है।

 

3. आयात निर्यात पॉलिसी : भारत का निर्यात इस साल नवंबर में 2.83 प्रतिशत घटकर 33.90 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जो एक साल इसी महीने 34.89 अरब अमेरिकी डॉलर था। इसी तरह नवंबर में आयात भी घटकर 54.48 अरब डॉलर रह गया, जबकि नवंबर 2022 में यह 56.95 अरब डॉलर था। भारत ने 2023 में महंगाई को काबू करने के लिए गेहूं, दाल, प्याज और चावल समेत कई वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाई थी। इसी तरह भारत सरकार ने अगस्त में लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार की आयात नीति की वजह से बाजार में जमाखोरी पर लगाम लगी और कई वस्तुओं के दाम गिरे।

 

4. खुले बाजार में महंगी वस्तुओं की कम दामों में बिक्री : 2023 में जब भी आटा, दाल, चावल, प्याज, आलू, टमाटर आदि किसी भी वस्तु के दाम बढ़े सरकार ने महंगाई को काबू में करने के लिए खुले बाजार में इन वस्तुओं की आपूर्ति कम दामों पर की। दिवाली से पहले उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत देने के लिए केंद्र ने भारत आटा के नाम से एक नया ब्रांड लांच किया और 27.50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर गेहूं के आटे की बिक्री की। 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चना की दाल, 25 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से प्याज भी की गई। नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के माध्यम से सरकार ने लोगों राहत दी। सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के अपने प्रयासों के तहत थोक उपभोक्ताओं को ई-नीलामी के माध्यम से 3.46 लाख टन गेहूं और 13,164 टन चावल बेचा है। 

 

5. डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन : 2023 में भारत ने डिजिटलाइजेशन और अकाउंटेड बिजनेस की ओर ध्यान दिया। सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई जिन्होंने लोगों को अर्थव्यवस्था से सीधे जोड़ा। इस वजह से देश में जीएसटी से लेकर इनकम टैक्स  तक हर तरह के टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई। कैशलेस लेन-देन, डॉक्यूमेंटेड सर्विसेज, ई कॉमर्स मार्केटिंग और  सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में नीतिगत बदलावों का दौर इस वर्ष भी जारी रहा। इन बदलावों से देश को AI युग से सामंजस्य बैठाने में बड़ी मदद मिलेगी। 

 

6. कर्ज नीति : देश पर कुल 205 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। मोदी राज में भारत ने ज्यादातर कर्ज भारतीय रुपए में लिया। इससे पहले अधिकांश कर्ज डॉलर में लिया जाता था। मुख्य रूप से सरकारी बॉन्ड के रूप में घरेलू स्तर पर लिए गए कर्ज ज्यादातर मिडियम या लॉन्ग टर्म वाले होते हैं।  इसमें एक्सचेंज रेट में अस्थिरता का जोखिम भी निचले स्तर पर होता है।

 

7. MSME सेक्टर का बुरा हाल : सरकारी नीतियां रास नहीं आने की वजह से बीते 7 सालों में MSME सेक्टर का बुरा हाल रहा। 2016 में देश में 6.25 करोड़ MSME थे 2023 में इनकी संख्या 48 फीसदी घटकर 3.25 करोड़ ही रहे गई। देश के कुल निर्यात में MSME की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत है। बताया जा रहा है कि इसकी एक वजह डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन भी है। परंपरागत उद्यमी इनके बदलावों के लिए तैयार नहीं थे। उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

 

8. PSU का विनिवेश : सरकार यह नीति 2021 में लाई थी। 2023 में भी सरकार की PSU के विनिवेश की नीति कायम रही। सरकार को इस वर्ष इस मद में 10049 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। शेयर बाजार में PSU कंपनियों के शेयरों में भारी उछाल दिखा। बाजार में कंपनी के शेयरों में आई तेजी की वजह से माना जा रहा है कि यह समय विनिवेश के लिए बेहतर है। इस वर्ष विनिवेश और कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया तेज हो सकती है। 



from व्यापार https://ift.tt/iCB4pZH
via IFTTT
Post A Comment
  • Blogger Comment using Blogger
  • Facebook Comment using Facebook
  • Disqus Comment using Disqus

No comments :


Business News

[Business][twocolumns]

Health

[Health][twocolumns]

Technology

[Technology][twocolumns]

Entertainment

[Entertainment][twocolumns]