विशेष प्रकार के कैंसर का अब बिना कीमो हो सकेगा उपचार
चंडीगढ़. एक विशेष प्रकार के कैंसर का अब बिना कीमो थेरेपी इलाज हो सकेगा। चंडीगढ़ पीजीआइ के विशेषज्ञों को 15 साल के शोध के बाद ऐसी विधि खोजने में कामयाबी मिली है, जिसने एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया के मरीजों को बिना कीमो दिए पूरी तरह ठीक कर दिया। संस्थान का दावा है कि इस उपलब्धि से भारत बिना कीमो थैरेपी कैंसर का इलाज करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।शोध ब्रिटिश जर्नल ऑफ हेमेटोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। पीजीआइ में हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख और शोध के मुख्य लेखक प्रो. पंकज मल्होत्रा ने बताया कि इस कैंसर में मरीज की हालत तेजी से बिगड़ती है। अगर उसने दो हफ्ते तक खुद को संभाल लिया तो इलाज का सकारात्मक प्रभाव तेजी से सामने आने लगता है, लेकिन उन दो हफ्तों तक सर्वाइव करना बेहद कठिन होता है। दुनिया में कैंसर के मरीजों का इलाज कीमो से हो रहा है। पीजीआइ ने पहली बार कीमो के बजाय मरीजों को दवाओं की खुराक दी। इनमें विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड शामिल किया गया। शोध के अन्य लेखक डॉ. चरनप्रीत सिंह ने बताया कि शोध में 250 मरीजों को शामिल किया गया। गंभीर मरीजों को दो साल और कम गंभीर मरीजों को चार महीने दवा दी गई। लगातार फॉलोअप के साथ टेस्ट किए गए। इन 250 मरीजों की कीमो वाले मरीजों की हालत से तुलना की गई तो काफी बेहतर नतीजे मिले। कीमो की तुलना में शोध में शामिल मरीजों पर इलाज की सफलता दर 90 फीसदी रही। जो मरीज दो हफ्ते के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाए, उनका परिणाम ही नकारात्मक रहा। बाकी मरीज पूरी तरह ठीक हैं। वे सामान्य जीवन जी रहे हैं।
दवा सीधे लक्ष्य पर डालती है प्रभाव
कीमो कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करता है। इसका दुष्प्रभाव अन्य अंगों पर पड़ता है, जबकि विटामिन ए और मेटल की डोज कैंसर सेल बनाने की प्रक्रिया को ही पूरी तरह खत्म कर देती है। यह कैंसर पैदा करने वाले लोकेशन पर वार करती है। इससे किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता। संक्रमण शुरुआत में ही रुक जाता है। एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया मरीज की अस्थि मज्जा को प्रभावित करता है। इस कैंसर से ग्रस्त मरीज के शरीर में स्वस्थ सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है।
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