रतन टाटा ने फोर्ड चेयरमैन से ऐसे लिया था अपमान का बदला
देश के जानेमाने उद्योगपति रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते नवल टाटा के बेटे हैं। रतन टाटा की स्कूल शिक्षा मुंबई में हुई। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर बीएस और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम किया था।
रतन टाटा ने 1962 में टाटा समूह के साथ अपना करियर प्रारंभ किया। वे 1991 में जेआरडी टाटा के बाद समूह के पांचवें अध्यक्ष बने। दिसंबर 2012 में अपने 75वें जन्मदिन पर रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्हें साल 2000 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
उन्होंने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियों का टाटा समूह में अधिग्रहण किया। रतन टाटा ने नैनो जैसी लखटकिया कार बनाकर आम आदमी का कार का सपना साकार किया। उन्होंने 21 साल के अपने करियर में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कंपनी को ऐसी ऊंचाइयों पर पहुंचाया कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित मान्यता मिली। कंपनी ने बड़ी वित्तीय सफलता हासिल की और टाटा समूह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज तक पहुंच गया। वे एक समर्पित परोपकारी व्यक्ति थे और देश में विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देते थे।
फोर्ड चेयरमैन से रतन टाटा ने अपमान का ऐसे लिया था बदला : 90 के दशक में जब टाटा समूह ने अपनी कार को लॉन्च किया तब कंपनी की सेल उम्मीदों के अनुरूप नहीं हो पाई। उस वक्त टाटा ग्रुप ने चुनौतियों से जूझ रही टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिविजन को बेचने का फैसला मन बना लिया।
इसके लिए टाटा ने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड से बात की। बातचीत के दौरान बिल फोर्ड ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था कि तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैंसेजर कार डिविजन शुरू ही क्यों किया? अगर मैं यह सौदा करता हूं तो यह तुम्हारे ऊपर एक बड़ा अहसान होगा। फोर्ड चेयरमैन के इन शब्दों से रतन टाटा बहुत आहत हुए।
फोर्ड के साथ डील स्थगित करने के बाद रतन टाटा स्वदेश लौट आए और टाटा मोटर्स के कार डिविजन पर ध्यान केंद्रित कर उसे बुलंदियों पर पहुंचा दिया। फोर्ड के मुखिया से हुई बातचीत के करीब नौ वर्षों के बाद टाटा मोटर्स की कारें पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी थीं। कंपनी की कारें दुनिया की बेस्ट सेलिंग कैटेगरी में शामिल थी। वहीं दूसरी ओर, फोर्ड कंपनी की हालत बिगड़ती जा रही थी।
टाटा स्टील की भट्टी में चूना पत्थर डालने का किया काम : अमेरिकी तकनीकी दिग्गज आईबीएम के साथ नौकरी की पेशकश के बावजूद टाटा ने भारत लौटने का फैसला किया और टाटा स्टील के साथ अपना करियर शुरू किया। उनके परिवार के सदस्य कंपनी के मालिक थे, पर उन्होंने एक सामान्य कर्मचारी के तौर पर कंपनी में काम शुरू किया। उन्होंने टाटा स्टील के प्लांट में चूना पत्थर को भटि्टयों में डालने जैसा काम भी किया।
रतन टाटा दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे, फिर भी वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नजर नहीं आए। उनके पास 30 से ज्यादा कंपनियां थीं जो 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली थीं, इसके बावजूद वह एक सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। जानेमाने उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।
Edited By : Chetan Gour
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