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क्यों बंद हुई हिंडनबर्ग रिसर्च, खुलासों से अडाणी को दिखाई थी जमीन, सेबी प्रमुख पर भी लगाए थे गंभीर आरोप

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Hindenburg news in hindi : शॉर्ट सेलिंग से पैसे कमाने वाली फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च अब बंद हो गई है। कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन ने कहा कि वह जिस प्लान पर काम कर रहे थे उसे पूरा करने के बाद ही उन्होंने कंपनी बंद करने का फैसला किया। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट से अडाणी ग्रुप को कई बिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। कंपनी ने भारत में बाजार नियामक सेबी की मौजूदा चेयरमैन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाए थे। 

 

एंडरसन ने कहा कि हमने हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का निर्णय लिया है। जिस प्लान पर हम काम कर रहे थे, उन्हें पूरा करने के बाद इसे बंद करने का फैसला किया गया है। जिन पिछले पोंजी केस को हमने अभी-अभी पूरा किया है और रेगुलेटर्स के साथ शेयर कर रहे हैं, वह दिन आज है।

 

उन्होंने कहा कि शुरुआत में मुझे लगा कि मुझे खुद के लिए कुछ चीजें साबित करने की जरूरत है। आखिरकार अब मुझे खुद के साथ कुछ कंफर्ट मिला है और शायद ये मेरी जिंदगी में पहली बार है। अगर मैं चाहता तो ये सब पहले भी हो सकता था, लेकन मैंने खुद को पहले नर्क से गुजारना बेहतर समझा।

 

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कई कैंपेन लॉन्च कर कंपनी को भारी नुकसान पहुंचाया। 2023 से रिपोर्ट जारी कर हिंडनबर्ग ने गौतम अदाणी के ग्रुप को कई बिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचाया है। हालांकि इन सभी आरोपों को अडाणी ग्रुप ने हमसे खारिज किया।

 

क्रेडिबिलिटी खो चुकी थी हिंडनबर्ग : सेबी प्रमुख माध्वी बुच पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर चर्चा करते हुए इकोनॉमिक्‍स टाइम्‍स में जर्नलिस्‍ट और वित्‍तीय मामलों के जानकार शराफत खान ने वेबदुनिया को बताया था कि हिंडनबर्ग एसेंजी बहुत पहले अपनी क्रेडिबिलिटी खो चुकी थी। वो नेगेटिव खबरें फैला कर शॉर्ट सेल से पैसा कमाते थे। ये उनका धन्धा था। पिछले कुछ सालों में कुछ छोटी इकोनॉमी और एक्सचेंज उनका शिकार बने हैं। हिंडनबर्ग की सेबी प्रमुख माध्वी बुच की रिपोर्ट में भी ऐसा कुछ नहीं था जो भारतीय बाजार को नुकसान पहुंचा सके। इसकी रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं। जो डोक्यूमेंट उसने बताए थे, वो महीनों से पब्‍लिक डोमेन में मौजूद हैं।

 

शेयर बाजार विशेषज्ञ नितिन भंडारी ने अडाणी मामले पर चर्चा के दौरान कहा था कि हिंडनबर्ग शॉट सेलर था वह रिसर्च करता और शॉर्ट सेलिंग के माध्यम से पैसा कमाता। उसने अडाणी के साथ भी ऐसा ही किया। अडाणी इंटरप्राइजेस का शेयर 150 रुपए का था इसकी कीमत बढ़ते बढ़ते 4000 तक पहुंच गई। हिंडनबर्ग ने लाभ कमाने के उद्देश्य से उसके खिलाफ रिपोर्ट पेश की और नकारात्मक माहौल बनाया। अडाणी इंटरप्राइजेस का शेयर गिरकर 1500 तक आ गया। मामले में कुछ नहीं निकला। सेबी ने उसे क्लीन चिट दे दी।

 

हिंडनबर्ग रिसर्च का ये एलान ऐसे वक्त में आया है, जब अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन का 4 वर्षों का कार्यकाल पूरा होने में कुछ ही दिन शेष हैं। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं।

edited by : Nrapnedra Gupta 



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