NATO में अब भारत करेगा अमेरिका की कमी पूरी, सेना भेजने की अपील की गई, खबर सुन पुतिन के उड़ जाएंगे होश
नाटो देश ने भारत की ताकत को स्वीकार कर लिया है। ग्रीस ने भारत से अपील की है कि भारतीय सेना और नेवी अब ग्लोबल लेवल पर ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाए। ऐसे में ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारत अब सुपर पावर बनने की ओर बढ़ रहा है? दरअसल, दुनिया में सत्ता संतुलन लगातार बदल रहा है। अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के बीच अब भारत नए दावेदारी के साथ उभर रहा है। हाल ही में ग्रीस के रक्षा मंत्री निकोश डियास भारत आए और उन्होंने एक ऐसा बयान दिया जिसने सभी का ध्यान खींच लिया। उन्होंने कहा कि भारत अब एक बड़ी ताकत बन चुका है। उसे ग्लोबल सिक्योरिटी में शामिल किया जाना चाहिए। बड़ी भूमिका निभानी चाहिए, खास तौर पर मेडिटरेनियन सी और रेड सी के क्षेत्र में जहां दुनिया का 60 से 70% व्यापार होता है।
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मेडिटरेनियन और रेड सी दुनिया के सबसे अहम व्यापारिक समुद्री रास्तों में से एक है। 60 से 70 % इंटरनेशनल ट्रेड इसी रूट से होकर गुजरता है। अमेरिका, रूस और चीन पहले ही यहां अपनी नेवल फोर्स तैनात कर चुके हैं। मिलिट्री बेस स्थापित कर यह देश अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं। अमेरिका, रूस और चीन की मौजूदगी यहां पहले से ही है। अमेरिका और ब्रिटेन का यहां नाटो के तहत कई मिलिट्री बेस मौजूद है। रूस सीरिया में अपनी मजबूत स्थिति बन चुका है। चीन जिबूती में अपनी नेवल बेस बना चुका है और इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है।
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चर्चा होने लगी है कि ट्रंप अपने फैसलों से नाटो गठबंधन को खत्म कर रहे हैं। इसके साथ ही बुधवार को दुबई में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात से यूक्रेन को बाहर रखने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि ट्रंप रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को मान्यता देकर यूक्रेन को खाली हाथ रख सकते हैं। यही वजह है कि यूक्रेन बेहद डरा हुआ है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका और बाइडन प्रशासन ने कभी भी उनके देश को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के एक सदस्य के तौर पर नहीं देखा। जेलेंस्की ने शुक्रवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में यह बात कही। वह बाद में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस से मुलाकात कर सकते हैं। विभिन्न पर्यवेक्षकों विशेष रूप से यूरोपीय पर्यवेक्षकों को उम्मीद है कि वेंस इस सप्ताह ट्रंप और रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद बातचीत के माध्यम से युद्ध के समाधान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विचारों पर कुछ प्रकाश डालेंगे।
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