RBI ने 5 साल बाद घटाई रेपो दर, कम होगी EMI, मौद्रिक नीति की 10 खास बातें
- आरबीआई ने नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत किया।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया।
- चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 4.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान। अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहेगी।
- मुद्रास्फीति को लक्षित करने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव।
- मौद्रिक नीति रूपरेखा की शुरूआत के बाद से औसत मुद्रास्फीति कम रही है।
- नई फसल की आवक के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आएगी
- भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत, पर वैश्विक चुनौतियों से अछूती नहीं।
- मौद्रिक नीति समिति ने ‘तटस्थ’ मौद्रिक रुख को कायम रखने का फैसला किया।
- हमारा प्रयास हितधारकों के साथ परामर्श करना और ऐसे परामर्शों को महत्व देना होगा।
- आरबीआई की विदेशी मुद्रा नीति लगातार व्यवस्थित व स्थिर बाजार परिचालन के पक्ष में बनी हुई है, यह किसी विनिमय दर को लक्षित नहीं करती है।
क्या होती है रेपो दर : रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में कमी आने की उम्मीद है।
Edited by : Nrapendra Gupta
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