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UN के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर हमले के बाद पाकिस्तान की परमाणु बयानबाजी और मिसाइल परीक्षणों पर चिंता जताई: सूत्र

भारत-पाकिस्तान के मध्य बढ़ते तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने बंद कमरे में इस मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें राजदूतों ने संयम बरतने और संवाद करने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मई महीने के लिए अध्यक्ष यूनान ने पाकिस्तान के अनुरोध पर सोमवार को बैठक निर्धारित की थी। पाकिस्तान वर्तमान में सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है। बैठक जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 लोगों की हत्या किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई।
 

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पाकिस्तान ने किया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मंच का दुरुपयोग
सूत्रों ने बताया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को बंद कमरे में विचार-विमर्श किया, जिसमें कई संयुक्त राष्ट्र सदस्यों ने पाकिस्तान की भूमिका और बयानबाजी पर सवाल उठाए। पाकिस्तान, जो वर्तमान में शक्तिशाली परिषद का एक अस्थायी सदस्य है, ने परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच स्थिति पर "बंद कमरे में विचार-विमर्श" का अनुरोध किया था। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि, असीम इफ्तिखार अहमद ने एक बार फिर भारत के खिलाफ झूठे दावे फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मंच का दुरुपयोग किया। पहलगाम आतंकी हमले से ध्यान हटाने के प्रयास में, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को उठाया और भारत पर सैन्य निर्माण और भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया।

संघर्ष का समाधान संवाद और शांतिपूर्ण तरीके से निकालने का आह्वान
सुरक्षा परिषद की यह बैठक सोमवार दोपहर को लगभग डेढ़ घंटे तक चली। बैठक का आयोजन ‘यूएनएससी चैंबर’ में नहीं बल्कि उसके बगल के परामर्श कक्ष में हुआ। सुरक्षा परिषद ने बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके उद्देश्य ‘‘काफी हद तक पूरे हो गए’’। पाकिस्तान, वर्तमान में 15 सदस्यीय शक्तिशाली सुरक्षा परिषद का एक अस्थायी सदस्य है, जिसने परमाणु-हथियार संपन्न पड़ोसी देशों के बीच स्थिति को लेकर ‘‘बंद कमरे में परामर्श’’ का अनुरोध किया था। संयुक्त राष्ट्र में राजनीतिक और शांति निर्माण मामलों के विभाग (डीपीपीए) एवं शांति अभियान विभाग (डीपीओ) में पश्चिम एशिया, एशिया और प्रशांत मामलों के लिए सहायक महासचिव खालिद मोहम्मद खैरी ने दोनों विभागों की ओर से सुरक्षा परिषद को जानकारी दी। खैरी ट्यूनीशिया से हैं। बैठक से बाहर आकर खैरी ने कहा कि ‘‘संघर्ष का समाधान संवाद और शांतिपूर्ण तरीके से निकालने’’ का आह्वान किया गया।  उन्होंने कहा कि ‘‘स्थिति काफी अस्थिर है।’’ 
 

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संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने पाकिस्तान की परमाणु बयानबाजी और मिसाइल परीक्षणों पर चिंता जताई
90 मिनट के सत्र के दौरान, परिषद के सदस्यों ने पाकिस्तान की बढ़ती परमाणु बयानबाजी और हाल ही में किए गए मिसाइल परीक्षणों पर चिंता जताई, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसने क्षेत्रीय अस्थिरता में योगदान दिया है। प्रतिभागियों ने पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए "झूठे झंडे" की कहानी को भी खारिज कर दिया और घातक हमले के मद्देनजर जवाबदेही के लिए दबाव डाला। सूत्र ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की संभावित भागीदारी के बारे में भी सवाल उठाए गए और पर्यटकों को उनकी धार्मिक पहचान के लिए निशाना बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की गई। सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की पाकिस्तान की कोशिशें नाकाम हो गईं, क्योंकि बैठक के बाद चीन समेत किसी अन्य सदस्य ने प्रेस बयान में शामिल नहीं हुआ। सत्र बिना किसी प्रस्ताव, बयान या प्रेस विज्ञप्ति के समाप्त हो गया, जिससे परामर्श के दौरान और उसके बाद पाकिस्तान प्रभावी रूप से अलग-थलग पड़ गया। सूत्रों ने बताया कि कई सदस्यों ने दोहराया कि भारत के साथ द्विपक्षीय मुद्दों को सीधे संवाद के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

सिंधु जल संधि को निलंबित करने का मुद्दा 
पाकिस्तान ने भारत द्वारा 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘पानी जीवन है, हथियार नहीं। ये नदियां 24 करोड़ से अधिक पाकिस्तानियों का भरण-पोषण करती हैं।’’ अहमद ने कहा कि बैठक में पाकिस्तान ने ‘‘भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण, सहयोगात्मक संबंधों के लिए अपनी प्रतिबद्धता’’ दोहराई। यूएनएससी की बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा था कि ऐसी चर्चा से कोई परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है ‘‘जहां संघर्ष में शामिल एक पक्ष परिषद की अपनी सदस्यता का उपयोग करके धारणाओं को आकार देने की कोशिश करता है। भारत ऐसे पाकिस्तानी प्रयासों को विफल करेगा।



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