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पहलगाम आतंकी हमले के जिम्मेदार 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' के खिलाफ बड़ा एक्शन, अमेरिका ने किया आतंकवादी संगठन घोषित

संयुक्त राज्य अमेरिका ने गुरुवार को प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और एक विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित किया। टीआरएफ, पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के लिए ज़िम्मेदार है जिसमें 26 लोग मारे गए थे। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी करके यह जानकारी दी। बयान में विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कार्रवाई पहलगाम हमला मामले में न्याय संबंधी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर काम करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

 अमेरिका के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि इससे पता चलता है कि भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी सहयोग कितना मजबूत है। रुबियो ने कहा कि विदेश मंत्रालय टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित करता है।

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रुबियो ने कहा कि टीआरएफ के खिलाफ यह कार्रवाई ‘‘हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले में न्याय के राष्ट्रपति ट्रंप के रुख पर काम करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह (पहलगाम हमला) 2008 में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर सबसे घातक हमला था। टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है, जिनमें 2024 में किया गया हमला भी शामिल है।

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द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) क्या है? 

द रेजिस्टेंस फ्रंट का गठन 2019 में लश्कर-ए-तैयबा के एक सहयोगी के रूप में किया गया था और केंद्र सरकार ने 2023 में इसे प्रतिबंधित कर दिया था। यह युवाओं की ऑनलाइन भर्ती, आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद करने और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।

TRF ने जम्मू-कश्मीर में नागरिकों, राजनीतिक नेताओं और सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किए गए कई हमलों की ज़िम्मेदारी भी ली है। इसके संस्थापक और कमांडर शेख सज्जाद गुल को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF के अभियानों को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का समर्थन प्राप्त है, जो कश्मीर क्षेत्र को अस्थिर बनाए रखने की अपनी रणनीति के तहत इस समूह का इस्तेमाल करती है। 22 अप्रैल को "मिनी स्विट्जरलैंड" कहे जाने वाले लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरन घाटी में हुआ यह हमला 2019 के पुलवामा बम विस्फोट के बाद से कश्मीर में नागरिकों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है।



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