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भारत के 'सुदर्शन चक्र' रक्षा कवच की डोर रूस से भी जुड़ेगी! रक्षा साझेदारी को मिला बल! जानें क्यों दुनिया देख रही इसकी ओर!

भारत की महत्वाकांक्षी सुदर्शन चक्र वायु रक्षा प्रणाली में रूस की अहम भूमिका होने की उम्मीद है, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान किया था। यह घोषणा भारत में रूसी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने की, जिन्होंने एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार के रूप में मास्को की दीर्घकालिक भूमिका पर ज़ोर दिया। भगवान कृष्ण के पौराणिक अस्त्र से प्रेरित होकर, सुदर्शन चक्र प्रणाली का उद्देश्य दुश्मन के खतरों को बेअसर करना और सटीक आक्रामक प्रहार करना है, जो सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक साहसिक छलांग का प्रतिनिधित्व करता है।

रोमन बाबुश्किन ने किया सुदर्शन चक्र का जिक्र

बुधवार (20 अगस्त) को रूसी दूतावास में एक प्रेस वार्ता उस समय जीवंत हो गई जब मॉस्को से नई दिल्ली के प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने रूस की सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणाली के लिए एक अनोखा भारतीय शब्द चुना। यह सवाल एक पत्रकार ने पूछा था कि क्या भारत इज़राइल के आयरन डोम जैसी वायु रक्षा प्रणालियों पर विचार कर सकता है। बाबुश्किन मुस्कुराए, आगे झुके और बदले में पूछा, "आपका मतलब सुदर्शन चक्र है?" वह यहीं नहीं रुके। एक मनोरंजक भाव के साथ उन्होंने कहा, "अगली बार हिंदी में पूछिएगा, मैं बेहतर जवाब दे पाऊँगा!"

भारत पहले ही रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली खरीद चुका है। भारतीय रक्षा हलकों में, इस प्रणाली को "सुदर्शन चक्र" का तमगा प्राप्त है। मई में पाकिस्तान के साथ चार दिनों तक चली झड़प के दौरान यह प्रणाली सुर्खियों में आई थी, जब इस प्रणाली ने दुश्मन की मिसाइलों को रोककर युद्धक्षेत्र में अपनी प्रभावशीलता साबित की थी।

स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली 'सुदर्शन चक्र' बनाने की पीएम ने की थी घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (15 अगस्त, 2025) को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत 2035 तक एक स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करेगा जो न केवल दुश्मन के हमलों को बेअसर करेगी, बल्कि उसका कड़ा जवाब भी देगी। कृष्ण जयंती की पूर्व संध्या पर घोषित इस मिशन को भगवान कृष्ण की पौराणिक ढाल के सम्मान में 'सुदर्शन चक्र' नाम दिया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा था कि "मैं आज लाल किले की प्राचीर से कह रहा हूँ कि आने वाले 10 वर्षों में, 2035 तक, देश के सभी महत्वपूर्ण स्थानों, जिनमें सामरिक और नागरिक क्षेत्र शामिल हैं, जैसे अस्पताल, रेलवे, आस्था के सभी केंद्र, को तकनीक के नए प्लेटफार्मों के माध्यम से पूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान किया जाएगा। यह सुरक्षा कवच निरंतर विस्तृत होता रहे, देश का प्रत्येक नागरिक सुरक्षित महसूस करे।"
 

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मिशन सुदर्शन चक्र क्या है?
"सुदर्शन चक्र" परियोजना की परिकल्पना एक बहुस्तरीय राष्ट्रीय सुरक्षा ढाँचे के रूप में की गई है जो 2035 तक सैन्य ठिकानों, अस्पतालों, रेलवे, धार्मिक स्थलों आदि सहित सामरिक और नागरिक बुनियादी ढाँचे को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करेगी। मोदी ने कहा, "हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि 2035 तक देश के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों को एक व्यापक सुरक्षा कवच से ढक दिया जाए।" उन्होंने इस प्रणाली के अनुसंधान, विकास और उत्पादन में पूर्ण स्वदेशीकरण का आह्वान किया। 
 
रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध को लेकर भी बात की

दिल्ली में रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने बुधवार को कहा कि रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारत के खिलाफ अमेरिका की दंडात्मक कार्रवाई से उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए रूस के पास एक ‘‘विशेष तंत्र’’ है। भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बाद भारत और अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण हुए हैं।

दिल्ली के साथ अपने देश के संबंधों में तेजी से सुधार होने की उम्मीद जताई 

बाबुश्किन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नयी दिल्ली के साथ अपने देश के संबंधों में तेजी से सुधार होने की उम्मीद जताई और कहा कि विभिन्न सैन्य साजोसामान व उपकरण की आवश्यकता के लिए रूस भारत का ‘‘पसंदीदा साझेदार’’ रहा है। वरिष्ठ रूसी राजनयिक ने कहा कि नयी दिल्ली की सुदर्शन चक्र नामक एक नयी वायु रक्षा प्रणाली बनाने की योजना का रूस के हिस्सा होने की उम्मीद है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान की थी।

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प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता व ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक 

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस समझ से आगे बढ़ रहे हैं कि जब इन प्रणालियों को आगे बढ़ाने की बात आएगी, तो रूसी उपकरण इसका हिस्सा होंगे।’’ रूस के प्रभारी राजदूत ने रूसी तेल की खरीद बंद करने को लेकर भारत पर अमेरिका की ओर से निरंतर दबाव बनाए जाने को “अनुचित” बताया और कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण और प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता व ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक है। बाबुश्किन ने कहा, “भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है। हमें भारत के साथ अपनी साझेदारी पर भरोसा है। हम दोनों देशों के बीच ऊर्जा संबंधों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

 भारत-रूस ऊर्जा सहयोग बढ़ता रहेगा

उन्होंने विश्वास जताया कि भारत-रूस ऊर्जा सहयोग बढ़ता रहेगा। रूसी अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पश्चिमी शुल्क और प्रतिबंधों के मद्देनजर तेल आयात की कीमतों में पांच प्रतिशत का उतार-चढ़ाव संभव है, हालांकि यह चर्चा का विषय होगा। पिछले हफ़्ते, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत रूसी कच्चे तेल की ख़रीद जारी रखता है, तो ट्रंप प्रशासन भारत पर शुल्क बढ़ा सकता है। अमेरिका ने रूस के साथ ऊर्जा संबंधों के कारण भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, लेकिन उसने रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन के ख़िलाफ़ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है।

भारत रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने मॉस्को पर प्रतिबंध लगाकर कच्चे तेल की आपूर्ति बंद कर दी थी, जिसके बाद भारत ने कम दामों पर रूसी तेल की खरीद शुरू कर दी थी। इसके परिणामस्वरूप, कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 2024-25 में बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई जो 2019-20 में मात्र 1.7 प्रतिशत थी। बाबुश्किन ने कहा, ‘‘प्रतिबंध का असर उन्हें लगाने वालों पर ही पड़ रहा है। हमें विश्वास है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा।’’

उन्होंने कहा, “रूस भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और भारत की मांग बढ़ रही है। निस्संदेह, यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी सामंजस्य और पूरकता का एक आदर्श उदाहरण है।’’ बाबुश्किन ने कहा कि दोनों पक्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी बाजार भारतीय निर्यात का स्वागत करेगा।

रूसी राजदूत ने कहा कि इस साल के अंत में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक स्थिर शक्ति के रूप में ब्रिक्स की भूमिका बढ़ेगी। रूसी राजनयिक ने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग के क्षेत्र में और विस्तार होगा।



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