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Why Asaduddin Owaisi says Supreme Court is not infallible?

Why Asaduddin Owaisi says Supreme Court is not infallible?

भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दशकों से प्रलंबित अयोध्या विवाद में कड़ा फैसला आया. जिसका भारत के हिन्दू, मुस्लिमों एवं सभी तबको द्वारा स्वागत किया गया. यह आर्टिकल सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा दिए गए निर्णय के एक हफ्ते बाद लिखा जा रहा हैं. इस एक हफ्ते में पूरे देश में भाईचारा कायम हैं और सभी लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को सर आंखों पर मान रहे हैं.

जैसे के भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैं की इसमें किसी की भी हार नहीं हुयी हैं और देश जीता हैं. यही सत्य हैं.

इसके बावजूद भी असदुद्दीन ओवैसी जैसे  मुस्लिमो के (तथाकथित) नेता अपनी पुरानी हरकतों से बाज़ आते नहीं दिख रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट को सर्वोच्च मानते हुए सुप्रीम कोर्ट अचूक नहीं हैं ऐसा ओवैसी मानते हैं. वैसी बयानबाज़ी की शुरुआत उन्होंने कर दी हैं.

ओवैसी को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार हैं, लेकिन ऐसी बात कहकर देश में सद्भाव का जो माहौल पैदा हुआ हैं, उसे बिगाड़ने का काम उनका बड़बोलापन कर सकता हैं.

यहाँ एक सबसे बड़ा सवाल ओवैसी की नीयत पर यह उठता हैं की क्या सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने भावना के अधीन  होकर यह फैसला किया हैं? सुप्रीम कोर्ट के ५ विद्वान न्यायाधीश जिसमे प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ संविधान पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर जैसे लोगो द्वारा आम सहमति से फैसला दिया, की बाबरी मस्जिद की जमीन को श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौपा जाए.

तो ओवैसी यह कहना चाहते हैं की यह पांच विद्वान लोग आम सहमति से 'अचूक' निर्णय देने में सक्षम नहीं हैं?

वैसे तो भारत जैसे देशों में भावना विवश होकर कोई भी निर्णय कोर्ट द्वारा नहीं दिया जाता. तथ्य, दलीले  एवं सबूत ही किसी निर्णय के पीछे होता हैं. मगर फिर भी ओवैसी जैसे लोग संवेदनशील निर्णयों में भी अपनी रोटी सेंकने में लगे रहते हैं.

कोर्ट के इस निर्णय के पीछे भी सालो से अनेक तथ्यों एवं दलीलों पर विचार विमर्श किया गया. आइये जानते हैं किन तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया गया हैं. इस निर्णय के पीछे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की रिपोर्ट को अधिक महत्व दिया गया. दोनों पक्षों की आस्था अपनी जगह पर, लेकिन तथ्य सबसे महत्वपूर्ण होते हैं,  इस बात का पूरा पूरा ख़याल रखा गया.


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