पाकिस्तान: 'ईशनिंदा' मामले में प्राध्यापक को मौत की सजा पर आक्रोश
पाकिस्तानी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को ईशनिंदा के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. उनके परिवार और मानवाधिकार समूहों द्वारा न्याय की अवहेलना किये जाने के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.
मध्य पाकिस्तान मुल्तान शहर में बहाउद्दीन ज़कारिया विश्वविद्यालय (BZU) के एक व्याख्याता जुनैद हाफ़िज़ पर 2013 में एक गुप्त फेसबुक समूह चलाने और पैगंबर मुहम्मद और क़ुरान का अपमान करने का आरोप लगाया गया था. जुनैद तब से मुल्तान जेल में बंद हैं.
ईशनिंदा के मुकदमे पाकिस्तान में सबसे अधिक विवादास्पद मुद्दा बना हैं. जुनैद के मामले में छह साल से अधिक समय के बीच सात अलग-अलग जजों को लाया गया.
हाफ़िज़ के पूर्व वकील, राशिद रहमान को जुनैद का वकालत पत्र लेने के लिए, धार्मिक नेताओं और अन्य वकीलों ने अदालत में धमकी दी थी. इस मामले में, 2014 में उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हाफ़िज़ को तब से एकांत कारावास में रखा गया है और मुल्तान में उच्च सुरक्षा वाले जेल में बंद दरवाजों के पीछे मुकदमा चलाया गया.
हाफ़िज़ के वकील के अनुसार, प्रॉसिक्यूशन गवाह और परीक्षण में आरोप सिद्ध साबित नहीं कर सका. हाफ़िज़ जब बुधवार रात मैं उनसे मिला तो बहुत खुश था और सभी को यकीन था कि वह बरी हो जायेगे, ऐसा The Guardian ने अपनी खबर में लिखा हैं.
हाफ़िज़ के परिवार द्वारा जारी एक बयान में, कहा गया हैं कि 2014 में उनके पिछले वकील की हत्या और हत्या के लिए हत्यारों को सजा दिलाने में मिली विफलता का मतलब था कि हाफ़िज़ की निष्पक्ष सुनवाई होने की संभावनाएं ख़त्म हो चुकी थी. उनके परिवार ने आरोप लगाया हैं की, अदालत सबूतों की कमी की अनदेखी कर रही हैं और फैसले में बाहर की धमकियों के आगे झुक रही हैं. जो लोग वकील रहमान को गोली मारते हैं, ऐसी परिस्थितियों में कोई भी न्यायाधीश न्याय करने का जोखिम उठा सकता है?
हाफ़िज़ के छोटे भाई, जावद ने कहा कि परिवार को इस फैसले की उम्मीद नहीं थी क्योंकि मामला एक खुला मामला था जहाँ मेरे भाई के खिलाफ कुछ भी साबित नहीं हुआ. न्यायाधीश ने सभी तर्कों और तथ्यों की अनदेखी करते हुए डर के मारे यह फैसला दिया, ऐसा The Guardian ने लिखा हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता , राजनेता और पत्रकार अक्सर पाकिस्तान में ईशनिंदा जैसे भड़काऊ मुद्दे के बारे में बात करने से डरते हैं, जहां इस्लाम का अपमान करने के असम्बद्ध आरोप भी लिंचिंग और हत्या के प्रयासों को भड़का सकते हैं, लेकिन इस फैसले पर व्यापक गुस्सा दिखाई दे रहा हैं.
एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) के पूर्व महासचिव, IA रहमान ने कहा, की यह फैसला क्रूर और अन्यायपूर्ण है। वह बिना किसी कारण के छह साल से जेल में है. उन्होंने आगे कहा, की पाकिस्तान में ईशनिंदा संबंधी मामलों पर टिप्पणी करना बहुत घातक हैं. न्याय मांगे जाने पर उनके वकील की हत्या कर दी गई. इससे देश में इस तरह के मामलों में डर बढ़ गया हैं.
राबिया महमूद, एमनेस्टी इंटरनेशनल के एक दक्षिण एशिया शोधकर्ता ने ट्वीट किया, ,की यह न्याय का एक घोर अपमान हैं.
Junaid Hafeez, blasphemy accused university teacher of Bahauddin Zakariya Uni, on trial for blasphemy for more than six years has been sentenced to death today by a Multan court. This is a vile and gross miscarriage of justice. #junaidhafeez #blasphemylaw— Rabia Mehmood - رابعہ (@Rabail26) December 21, 2019
पाकिस्तान एक ऐसा देश हैं जहाँ कोई भी सुरक्षित नहीं हैं
अपना नाम ना छापे जाने के अनुरोध पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फैसले से पहले हाफ़िज़ के वकील को जेल में नहीं आने के लिए कहा गया था क्योंकि अधिकारियों ने हाफ़िज़ के बरी होने के बाद भीड़ के हमले की आशंका जताई थी. यदि कोई तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न होती है, तो उन्होंने हाफ़िज़ की सुरक्षित हटाने की योजना भी तैयार की थी, सभी को भरोसा था कि वह आज रिहा हो जाएगा. यह दुर्भाग्य से नहीं हुआ, ऐसा भी The Guardian ने अपने खबर में कहा हैं.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आसिया बीबी नामक ईसाई महिला को मृत्युदंड दिए जाने के बाद पाकिस्तान का ईश निन्दा कानून पिछले साल वैश्विक पटल पर आया था.
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