देश की बैंकों का बैड लोन (एनपीए) बढ़ने की रिजर्व बैंक की चेतावनी
पिछले कुछ समय से देश की विभिन्न बैंकों का बैड लोन (एनपीए) काफी तेजी से बढ़ा है. इससे आने वाले समय में निजात मिलने की कोई संभावना नहीं है, बल्कि आने वाले वर्ष में बैंकों का बैड लोन (एनपीए) और बढ़ेगा ऐसी चेतावनी रिजर्व बैंक की ओर से दी गई है.
रिजव्र बैंक की ओर से हाल ही में अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट सार्वजनिक की. इस रिपोर्ट में बताया गया कि, सितम्बर 2019 के आखिर तक बैंकों बकाया कर्ज की 9.3 प्रतिशत की मात्रा सितम्बर 2020 तक 9.9 प्रतिशत तक जा पहुंचेगी.
पिछले वित्तीय वर्ष यांनी मार्च 2019 तक बैंकों के कर्ज वितरण में से बैड लोन की यह मात्रा 9.30 प्रतिशत ही थी. बदलती वित्तीय स्थिति, वित्त आपूर्ति में हुई कमी, बकाया कर्ज के एवेज में बैंकों करनी पड़ने वाला आवंटन और कर्जवसूली की प्रक्रिया में खर्च होने वाली रकम को देखते हुए बैंकों के आने वाले वित्तीय बजट बढ़ोतरी होने की संभावना रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में जताई गई है.
सितम्बर 2020 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों कै बैड लोन का प्रतिशत 13.2 तक पहुंचेगा, जबकि निजी बैंकों का यह प्रतिशत 4.2 रहने का अंदेशा भी इस रिपोर्ट में जताया गया है.
पिछले वित्तीय वर्ष यांनी मार्च 2019 तक बैंकों के कर्ज वितरण में से बैड लोन की यह मात्रा 9.30 प्रतिशत ही थी. बदलती वित्तीय स्थिति, वित्त आपूर्ति में हुई कमी, बकाया कर्ज के एवेज में बैंकों करनी पड़ने वाला आवंटन और कर्जवसूली की प्रक्रिया में खर्च होने वाली रकम को देखते हुए बैंकों के आने वाले वित्तीय बजट बढ़ोतरी होने की संभावना रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में जताई गई है.
सितम्बर 2020 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों कै बैड लोन का प्रतिशत 13.2 तक पहुंचेगा, जबकि निजी बैंकों का यह प्रतिशत 4.2 रहने का अंदेशा भी इस रिपोर्ट में जताया गया है.
बीते वर्ष यानी सितम्बर 2019 के आखिर तक दोनों ही क्षेत्रों के बैंकों के बैड लोन की मात्रा क्रमशः 12.7 प्रतिशत तथा 3.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी. निजी बैंकों की अनुताप्दित संपत्ति कुल वितरण किए गए कर्ज की तुलना में सितम्बर 2019 के आखिर तक 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 3.1 प्रतिशत तक पहुंचने का अंदेशा रिजर्व बैंक ने जताया है.
वित्तीय व्यवस्था में स्थिरता
चूंकि, इस समय देश की वित्तीय स्थिति काफी नाजूक बनी हुई है, लेकिन फिर भी वित्तीय व्यवस्था में स्थिरता होने की बात रिजर्व बैंक की ओर से बताई गई है.
वित्तीय स्थिति की जोखिम, वित्तीय बाजारों की जोखिम तथा बैंकों और वित्तसंस्थाओं की स्थिति केवल मध्यम समयावधि के लिए वित्तीय व्यवस्था पर असर दिखाएंगे, ऐसा अंदेशा इस रिपोर्ट में जताय गया है.
वित्तीय स्थिति की जोखिम, वित्तीय बाजारों की जोखिम तथा बैंकों और वित्तसंस्थाओं की स्थिति केवल मध्यम समयावधि के लिए वित्तीय व्यवस्था पर असर दिखाएंगे, ऐसा अंदेशा इस रिपोर्ट में जताय गया है.
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