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पाकिस्तान में न्यूक्लियर गैस लीक होने से 14 लोगों की मौत

100 से अधिक मरिजों को अस्पतालों में किया गया भर्ती

File Photo

नई दिल्ली - पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में न्यूक्लियर गैस लीक होने से काफी हड़कम्प मचा हुआ है. अब तक इस न्यूक्लियर गैस से 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक बाधित लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. खास बात यह कि, जहां यह हादसा पेश आया वहां से कराची न्यूक्लियर प्लान्ट काफी नजदीक है. इसके चलते लोगों में काफी भय का माहौल फैल गया है.

कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कराची के एक डाॅकयार्ड में जहाज के माध्यम से एक कंटेनर पहुंचा था. इसमें सब्जियां होने का दावा किया जा रहा था. लेकिन जब यह कंटेनर खोला गया तब उसमेंं से जहरीली गैस निकलने से छह लोगों की मौत हो गई, जबकि कम से कम 100 लोग जहरीली गैस से बीमार हो गए.

सूत्रों की मानें तो इस मामले में बाधितों की संख्या काफी ज्यादा है, जिससे मौतों की संख्या भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. गैस को काबू में करने के लिए न्यूक्लियर बायोलाॅजीकल केमिकल डैमेज टीम मौके पर रवाना हो चुकी है. इस टीम की जांच के बाद आने वाली रिपोर्ट से स्थिति साफ होगी, लेकिन तब तक लोगों में काफी भय का माहौल बना रहेगा.

इस घटना के बाद पाकिस्तान में स्थित न्यूक्लियर प्लान्ट तथा वहां पर मौजूद परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवालिया निशान लग गया है. क्योंकि पिछले कई वर्षों से विभिन्न देशों की खुफिया एजन्सीयों ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार सुरक्षित ना होने के बात की पुष्टि की कर रहे है. लेकिन पाकिस्तान इन आशंकाओं को सीरे से खारीज करता रहा है.

इस समय पाकिस्तान में चरमपंथी मुस्लिम संगठनों ने काफी कोहराम मचाया हुआ है. साथ ही तालिबानी आतंकवादी भी पाकिस्तान में काफी सक्रिय है, जोकि पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों को अपनाने का प्रयास कर रहे है. इसे लेकर कई बार अमेरीका ने भी चिंता जाहीर की है.

चूंकि, पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेन्सी आईएसआई सभी चरमपंथी आतंकी संगठनों को पर्दे के पिछे से समर्थन दे रही है, इससे वहां की न्यूक्लियर सुरक्षा को काफी खतरा है. इस संदर्भ में अब अमेरीका और यूरोपीय देश क्या रूख अपनाते है, यह तो आनेवाले समय में पता चलेगा.

क्या यह मोहाजिरों की नस्लें ख़त्म करने की करने की साजिश हैं?


हालांकि, इस बात की अभी कोई पुष्टि नहीं हुयी हैं. पर पाकिस्तानी इस्टैब्लिशमेंट का मोहाजिर (जो भारत से पकिस्तान गए थे) जमात  के प्रति नस्लवादी नजरिया देखते हुए इस बात को नकारा भी नहीं जा सकता.

भले ही आज दुनिया को कश्मीर का मुद्दा सबसे विस्फोटक नजर आता हो, मगर 'जीनापुर' उससे भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता हैं. यह ऐसा मसला हैं जो पाकिस्तान के लिए ही नहीं बल्कि पूरे इस्लामी जगत के नजरिये को बदलने की हैसियत रखता हैं. 
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