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रैगिंग से तंग आकर मेडिकल के छात्र की आत्महत्या

देहाती बोलकर तंग करते थे सहयोगी छात्र


पुणे - सहयोगी छात्रों के रैगिंग तथा देहाती होने के बार-बार ताने मारने से तंग आकर एक मेडिकल के छात्र ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली. इस आत्महत्या से छात्र के गरीब मां-बाप पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. यह घटना आज भी हमारे समाज में व्याप्त कुछ वर्चस्ववादी तथा ग्रामीण लोगों के प्रति शहरी लोगों की घिनौनी मानसिकता को उजागर करती है.

बता दें कि, बीड़ जिले के ग्राम नालवंडी में रहने वाला छात्र गणेश कैलास म्हेत्रे (उम्र 20 वर्ष) ने कड़ी मेहनत से अपनी शिक्षा पूरी कर ली. इसके बाद वह उदगीर (जिला लातूर) के आयुर्वेदिक मेडिकल काॅलेज में बीएएमएस में प्रवेश किया. गणेश अपने पहले वर्ष की पढ़ाई कर रहा था, लेकिन उसके सीनियर छात्र उसकी रैगिंग करते थे. साथ ही तू देहाती है, तू डाॅक्टर कभी नहीं बन सकता, ऐसे ताने उसे बार-बार मारते थे.

इन तानों से गणेश काफी परेशान रहता था. उसने यह बात अपने परिवार के सदस्यों को बताई थी. इसके बाद गणेश के अभिभवकों ने महाविद्या प्रशासन को इसकी जानकारी भी दी थी. प्रशासन की ओर से इस संदर्भ में संज्ञान लेकर महाविद्यालय प्रशासन ने आगे से ऐसा ना होने का आश्वासन गणेश के अभिभावकों को दिया.

लेकिन स्थिति जस के तस बनी रही. गणेश को देहाती होने के ताने बार-बार सुनने पड़ रहे थे, जिससे वह काफी निराश और हताश हो गया था. इसी हताशा को लेकर दोन दिन पहले गणेश अपने गांव पहुंचा. तत्पश्चात उसने अपने खेत में जाकर जहरीली दवा पी ली.

जानकारी मिलते ही गणेश को फौरन अस्पताल में दाखिल किया गया, लेकिन वहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस घटना से गणेश के माता-पिता गहरे सदमे में है. राधाकृष्म म्हेत्रे की शिकायत पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.

हालांकि, यह घटना कुछ दिनों बाद भूला दी जाएंगी, लेकिन यह घटना हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने पर एक बदनूमा दाग़ छोड़ गई है. कहीं पर जातिगच वर्चस्व तो कहीं पर सामाजिक वर्चस्व के चलते ऐसी घटनाें होती है. कुछ दिन पहले तड़वी समाज की पहिली महिला डाॅक्टर पायल तड़वी ने भी इस तरह के सामाजिक भेदभाव और तानों से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी.

जब तक  समाज में लिप्त वर्चस्ववादी मानसिकताओं को खत्म नहीं किया जाता, तब तक इसी तरह की घटनाएं होती रहेंगी, जिसमें मासूम लोग अपनी जानें गंवाते रहेंगे.
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