पंचकर्म : प्रयोजन और आवश्यकताएं
पंचकर्म हमारे सीर से पांव तक शरीर की शुद्धि का एक राजमार्ग है.
मनुष्य को केवल शारीरिरक ही नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी पूरी तरह से रोगमुक्त बनाने के लिए आयुर्वेद की रचना की गई है. आयुर्वेद का मूल उद्देश्य है ‘स्वास्थ्यस्य स्वास्थ्य रक्षणम्, आतुराय विकार प्रशमनम’ इसका मतलब है स्वस्थ मनुष्य के स्वास्थ्य का रक्षण करना और रोगी के शरीर से रोगों को नष्ट करना.
आयुर्वेद में निहित बातों का अच्छी तरह से पालन करें तो कोई भी व्यक्ति आज के समय में भी स्वस्थ जीवन जी सकता है तथा शरीर और मन में व्याप्त विकारों से मुक्ति पा सकता है. इसी आयुर्वेद की एक अहम चिकित्सा पद्धति के तौर पर पंचकर्म को बताया जाता है. पंचकर्म हमारे सीर से पांव तक शरीर की शुद्धि का एक राजमार्ग है.
पंचकर्म से शरीर में विकारों को फलने-फुलने का मौका दिलाने वाले घटकों का नि:सारण किया जाता है, जिससे स्वस्थ शरीर और प्रफुल्लित मन की अनुभूति प्राप्त होती है.
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