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परीक्षाओं की विलंबावधि का छात्र करें सदुपयोग

Students should utilize the delay of examination

पुणे - कोरोना वाइरस के संक्रमण के चलते पिछले करीब दो महीनों से भी अधिक समय से लॉड काउन चल रहा है. लॉक डाउन में जहां एक और उद्योग और कारोबार अब तक पूरी तरह से बंद थे, जो हाल ही में कुछ शर्तों के साथ शुरू हुए है.

कोरोना के चलते जैसे ही लॉक डाउन की घोषणा की गई, उसी दिन से भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के शिक्षा संस्थानों पर ताले पड़े हुए है. छात्रों और अध्यपकों में कोरोना का संक्रमण ना बढ़ें इसके लिए यह फैसला लिया वैसे तो स्वागतयोग्य है. लेकिन शिक्षा क्षेत्र पर गंभीर असर करने वाला है.

ऐसे में छात्र हमेशा किसी भी ‘चुनौती’ को अगर ‘अवसर’ की तरह देखें तो उसमें से सकारात्मक मार्ग निकल आता है. क्योंकि लॉक डाउन के चलते सभी प्रकार के उच्च शिक्षा की परीक्षाओं में काफी विलंब हुआ है.

हालांकि, यह विलंब अब यहां से आगे प्रतिवर्ष शिक्षा क्षेत्र को प्रभावित करने जा रहा है. फिर भी परीक्षाओं के इस विलंबावधि का छात्र अगर अच्छी तरह से उपयोग करें तो यह उनके लिए एक स्वर्णीम अवसर प्रदान कर सकता है. जरुरत है केवल छात्र सकारात्मकता, संयम और एकग्रता से पढ़ाई जारी रखें.

कोरोना संक्रमण ने डाला शिक्षा में खलल
भारत में जबसे कोरोना का संक्रमण ज्यादा बढ़ने लगा और लॉक डाउन की घोषणा की गई तभी से शिक्षा क्षेत्र में खलल शुरू हो गया था. ज्यादातर शिक्षा क्षेत्र में मार्च-अप्रैल का महीना परीक्षाओं का समय होता है.

छात्र साल भर अपनी शिक्षा के लिए जी-तोड़ मेहनत करते है और जब परीक्षाओं पर इस तरह के अनिश्चितता के बादल छा जाते है, तो छात्रों का मनोबल टूटता है. लेकिन कम से कम भारत के परिप्रेक्ष्य में हम यह कह सकते है कि, यूरोप-अमरीका की तुलना में हमारे यहां कोरोना का संकट उतना तीव्र नहीं है.

यह हमारे लिए एक आशा की किरण है. मार्च, अप्रैल के महीने लॉक डाउन में निकल चुके है और मई का महीना भी अभी खत्म होने की कगार पर है. पिछले कई दिनों से पूरे देश में इस विषय पर चर्चाएं चल रही है कि, देश में अब शिक्षा क्षेत्र किस दिशा में जाएगा, परीक्षाएं कब होंगी, ऑनलाइन होंगी या ऑफलाइन होंगी, फिर कोरोना संक्रमण से कैसे बचते हुए परीक्षाएं हों वगैरह... वगैरह....

सरकार की भूमिका हुआ असमंजस
देश में बढ़ रही कोरोना की स्थिति को देखते हुए हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने परीक्षाओं के संदर्भ में अहम फैसला लिया. उन्होंने सुझाया कि, प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षाओं को रद्द कर केवल तृतीय वर्ष की परीक्षाएं ली जाएं.

चूंकि, महाराष्ट्र में भी कोरोना की स्थिति गंभीर बनी हुई है, इसलिए राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलगुरु और अधिकारियों की समिति ने इस फैसले को फौरन ही मानते हुए प्रथम और द्वितीय वर्ष परीक्षाओं को रद्द कर दिया था तथा तृतीय वर्ष की परीक्षाएं जुलाई में लेने का फैसला लिया था.

हालांकि, राज्य के उच्च एवं तकनिकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने हाल ही में तिसरे वर्ष की परीक्षा भी रद्द करने के संदर्भ में विचार चल रहा है और इसके संदर्भ में जल्द फैसला लेंगे, ऐसा मंतव्य दिया था. इसके बाद तृतीय वर्ष के छात्रों में और भी असमंजस की स्थिति बन गई थी.

राज्यपाल कोशियारी ने अपनाया कड़ा रूख
इस मुद्दे पर इस समय राज्य में राज्यपाल और सरकार के बीच टकराव भी चल रहा है. क्योंकि राज्यपाल ने इसके संदर्भ में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भेजकर अपने मंत्री के इस तरह के बयान ना देने की हिदायत दी तथा सरकार को यह भी जता दिया कि, छात्रों को डिग्री देना और उनकी शिक्षा के संदर्भ में फैसला लेना यह काम विश्वविद्यालयों का है सरकार का नही.

तिसरे वर्ष की परीक्षा ना लेकर छात्रों को सीधे तौर पर डिग्रिया देना पूरी तरह से अनुचित होगा और यह छात्रों के भविष्य पर बुरा असर कर सकता है. इसलिए राज्य में तृतीय वर्ष की परीक्षाएं यूजीसी के निर्देशों के मुताबिक हर हाल में होंगी, ऐसा कड़ा रूख राज्यपाल ने अख्तियार कर लिया है. जिससे इस स्थिति की असमंजसता पर हमेशा के लिए पर्दा गिर गया है.

तकनिकी दृष्टि राज्यपाल है उचित
चूंकि, राज्यपाल राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति होते है, इसलिए उन्होंने मंत्री उदय सामंत के इस फैसले पर आपत्ति भी दर्ज की है, जोकि तकनिकी और संवैधानिक तौर पर देखा जाए तो जायज भी है. राज्यपाल की इस सक्रियता के चलते अब यह तो साफ हो गया है कि, तृतीय वर्ष की परीक्षाएं निश्चित होंगी.

हालांकि, इन परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा अब तक नहीं हुई है. लेकिन कहा यह जा रहा है कि, तारीखों की घोषणा जल्द हो जाएंगी. जब तक तारीखों का ऐलान नहीं होता, तब तक छात्रों के मन में कश्मकश रहना लाजमी है. लेकिन छात्र परीक्षाओं की तारीखों की ओर ज्यादा ध्यान देने की बजाय छात्र अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान केंद्रित करें तो यह उनके लिए काफी बेहतर होगा.


सीईटी -नीट-जेईई परीक्षाओं के संदर्भ में
महाराष्ट्र सरकार द्वारा ली जाने वाली एमएचटी-सीईटी परीक्षा भी कोरोना संक्रमण के कारण काफी लम्बी खिंच गई थी, जिससे छात्रों में मन में यह परीक्षाएं होंगी भी या नहीं इसके संदर्भ में कई सारे सवाल उभर रहे थे. लेकिन आखिर में एमएचटी-सीईटी सेल की ओर से हाल ही में तारीखों की घोषणा की गई है.

यह परीक्षाएं अब जुलाई की 4, 6, 7, 8, 9, 10, 13, 14, 28, 29, 30, 31 तथा अगस्त की 3, 4 और 5 तारीखों को होंगी. हालांकि, इस परीक्षा के नतीजों को तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा. कोरोना संक्रमण के चलते परीक्षाओं में काफी विलंब हुआ है, जिससे छात्रों के मन में काफी कश्मकश चल रही है.

लेकिन इस ओर ध्यान ना देते हुए छात्र केवल अपनी पढ़ाई पर फोकस करें. क्योंकि यही बात उनका परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बढ़ा सकती है. इसके अलावा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने हाल ही में जॉइंट एन्ट्रन्स टेस्ट (जेईई मेन) तथा नेशनल एलिजिबलिटी कम एन्ट्रन्स टेस्ट (नीट) परीक्षाओं की तारीखों का ऐलान किया है.

यह जेईई मेन परीक्षा 18 से 23 जुलाई के बीच होगी, जबकि नीट परीक्षा 26 जुलाई को होगी. जेईई एडवान्स की परीक्षा अब अगस्त में होने जा रही है.

जेईई-नीट परीक्षा के लिए ऐप जारी
रमेश पोखरियाल ने यह भी जानकारी दी कि, जेईई और नीट परीक्षाओं का संचालन करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी (एनटीए) ने हाल ही में इन परीक्षाओं के संदर्भ में छात्रों की सहुलियत के लिए एक ऐप जारी किया है. यह ऐप इन परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए काफी मददगार साबित होने का विश्वास उन्होंने जताया.

इस वर्ष जेईई की परीक्षा के लिए करीब 16 लाख तथा नीट की परीक्षा के लिए 9 लाख 10 छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए है. इन सभी छात्रों के लिए यह ऐप काफी सहाय्यकारी साबित होगा.

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