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केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का कोविड-19 के उपकरणों पर हुए खर्च का ब्यौरा देने से इन्कार

मोदी सरकार की ‘अपारदर्शिता’ का नया मामला आया सामने

Union Health Ministry refuses to give details of expenditure on Kovid-19 equipment

नई दिल्ली - अपनी पारदर्शिता और भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन के ढोल पीटने वाली मोदी सरकार की ‘अपारदर्शिता’ का एक नया मामला उजागर हुआ है. ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नन्स’ की दुहाई देने वाले मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्र्यालय ने सूचना अधिकार के तहत कोविड-19 के संयंत्रों और उपाययोजनाओं की जानकारी देने से सीधे मना कर दिया है. इस इन्कार से मोदी सरकार जरुर कुछ छुपाना चाहती है, ऐसा आरोप सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किया.

अनिल ने हाल ही में एक ऑनलाइन आरटीआई के तहत एक आवेदन सीधे केंद्र सरकार के पोर्टल पर किया था. जिसमें उन्होंने पूछा था कि, सरकार की ओर से कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे है. कोविड-19 को रोकने के लिए कौनसे उपकरण खरीदे गए और इसके लिए कितने पैसे खर्च किए गए है.

केंद्र सरकार के पास आवेदन पहुंचने पर इस आवेदन को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भेजा गया. 22 दिन के बाद इस मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी से अनिल गलगली को रिप्लाइ मिला. लेकिन जब यह रिप्लाइ मिला तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ.

जवाब में बताया गया है कि, केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी को इस तरह की सूचना देने की जरूरत नहीं है जिसमें दखल देने, संकल्पना बनाने या आवेदक द्वारा उठाई गई समस्या का समाधान करने तथा काल्पनिक प्रश्नों का जवाब देने की जरूरत पड़ती हो. मांगी गई सूचना आरटीआई कानून 2005 की धारा 2 (एफ) के तहत सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है. इसलिए सीपीआईओ के पास देने के लिए ऐसी कोई खास सूचना नहीं है.

हालांकि, गलगली द्वारा मांगी गई सूचना आरटीआई के तहत ही आती है, लेकिन फिर भी जवाब देने से स्वास्थ्य मंत्रालय कतरा रहा है. जवाब को टालने की घटना पर गलगली ने कहा कि, सीपीआईओ का यह रवैया पूरी तरह से गैरकानूनी है और उसे बताए गए बिंदूओं पर जानकारी दे देनी चाहिए.

सत्ता में आने से पहले नरेंद्र मोदी देश की तत्कालीन सत्ता से एक-एक रूपये का हिसाब देने का आग्रह करते थे. लेकिन अपनी सरकार आने के बाद मोदी सरकार दोहरा रवैया साफ हो रहा है.

पिछले वर्ष ही मोदी सरकार ने सूचना अधिकार कानून में संशोधन करते हुए उसे काफी कमजोर बना दिया था. इस घटना पर पूरे देश में काफी बवाल भी हुआ था. सूचना अधिकार कानून में वह बदलाव शायद इसी का नतीजा होने का अंदेशा देश के आरटीआई कार्यकर्ता जता रहे है.

Tags - Union Health Ministry refuses to give details of expenditure on Kovid-19 equipment

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