‘पीएम केयर फंड’ को आरटीआई के दायरे में लाया जाएं
दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका में मांग, 10 जून को सुनवाई
नई दिल्ली - कोरोना संक्रमण से उपजी स्थिति से निपटने के लिए नये सीरे से तैयार किए गए ‘पीएम केयर फंड’ को सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाकर उसके जमा-खर्च का हिसाब सार्वजनिक किया जाएं, ऐसी मांग दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में की गई है. सुरेंद्रसिंह हुडा द्वारा दायर इस याचिका पर अब १० जून को सुनवाई होने जा रही है.
बता दें कि, कोरोना संक्रमण का संकट बढ़ता देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा २८ मार्च को पीएम केयर फंड की घोषणा की गई थी तथा इसमें अपना योगदान देने का आवाहन देश की जनता से किया गया था. इसमें देशभर के राजनीतिक क्षेत्र के लोग, बॉलिवूड सेलीब्रेटीज, सरकारी कर्मचारी और आम लोगों ने अपनी ओर से आर्थिक योगदान दिया था.
याचिकाकर्ता सुरेंद्रसिंह हुडा का दावा है कि, इस फंड में अब तक करीब १० हजार करोड़ रुपये जमा हो गए है. इस फंड में आने वाला पैसा और उसके खर्च के संदर्भ में सूर्यहर्ष तेजा ने एक आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी. लेकिन 29 मई को सरकार की ओर से उन्हें दिए गए जवाब में कहा है कि, पीएम केयर फंड सार्वजनिक दायरे में नहीं आता. लिहाजा सूचना अधिकार के तहत इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती.
इसके अलावा कोमोडोर लोकेश बत्रा ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर पीएम केयर फंड के संदर्भ में जानकारी मांगी थी. लेकिन पीएम ऑफीस से उन्हें जवाब दिया गया कि, यह फंड सार्वजनिक नहीं है इसलिए इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती. बत्रा ने एक नहीं बल्कि दो बार इसके संदर्भ में पीएम ऑफीस पत्रव्यवहार किया था.
इन दोनों ही आवेदनों को लेकर याचिकाकर्ता सुरेंद्रसिंह हुडा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए दावा किया कि, चूंकि यह फंड देश के प्रधानमंत्री के आवाहन पर स्थापित हुआ और इसमें लोगों ने अपना पैसा दिया. यह पूरा फंड सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर किया गया है. तो यह फंड व्यक्तिगत संपत्ति कैसे हो सकता है?
अगर इस फंड से संबंधित व्यक्ति सरकारी पदों पर है, वे किसी भी मानदेय को लिए बगैर काम कर रहे है और अगर उनके कोई व्यक्तिगत लाभ इससे जुड़े नहीं है, तो इसकी जानकारी देने में सरकार को ऐतराज क्यों है. चूंकि, इस फंड में सार्वजनिक उपक्रमों की कंपनियां, केंद्रीय और राज्यों के अधिकारी, कर्मचारी, लोकप्रतिनिधि, सैन्य अधिकारी, सार्वजनिक संस्थाओं में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी तथा आम लोगों पैसे दिए है.
इन पैसों का विनियोग केवल सार्वजनिक और देशहीत के लिए होना है. इन पैसों को कोरोना महामारी तथा किसी भी प्रकार की आपदा में लोगों की मदद देने के उद्देश्य से बनाया गया है तो फिर इस फंड में कितना पैसा आया और वह किस चीज पर खर्च किया गया, जानकारी देने में सरकार को क्या हर्ज है, ऐसा सवाल इस याचिका में याचिकाकर्ता ने किया है. इसलिए जल्द से जल्द यह फंड आरटीआई के दायरे में लाया जाएं, ऐसी मांग याचिका में की गई है.
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