पुणे के ‘जीएसटी’ कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन
टैक्स कन्सल्टेंट, सीए, व्यापारी हुए शामिल
पुणे : वस्तू एवं सेवा कर कानून में बार-बार होने वाले बदलावों को रोकने समेत इसके संदर्भ में विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार 29 जनवरी को देशभर में टैक्स कन्सल्टंट और व्यापारियों ने जीएसटी भवन पर जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के मुताबिक यह आंदोलन पूरे देशभर के जीएसटी भवन पर आयोजित किए गए. पुणे में आयोजित प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.
इस समय आंदोलनकारियों ने जीएसटी रिटर्न में सुधार करने की अनुमति मिले, पंजीकरण रद्द करने अथवा प्रतिबंधित करने के अधिकारों का उल्लंघन रोका जाए, अनावश्यक विलंब शुल्क को रोका जाए, जीएसटी के ‘एचएसएन’ इ-वे बिल, इनपुट टैक्स क्रेडिट, कैश लेजर, क्रेडिट लेजर, अवेलेबल, यूटीलाइज्ड क्रेडिट सेवा जैसे अनेकों प्रणालियों को सरल किया जाए. इसके इतिरिक्त व्यापारी व कर सलाहकार की ओर गलत नरजरिए से देखने के तरीके को सरकार बदले ऐसी मांगें जीएसटी अधिकारियों के समक्ष रखी गई.
आंदोलनकर्ताओं ने इस समय जीएसटी भवन के समक्ष जमकर नारेबाजी की. आंदोलनकर्ताओं का कहना था कि, इतिहास में पहली बार देशभर के कर सलाहकार, व्यापारी, चार्टर्ड एकाउंटेंट एवं संबंधित घटक एक साथ आए व यह निषेध आंदोलन किया.
‘ऑल इंडिया प्रोटेस्ट कमिटी’ के नेतृत्व में पश्चिम महाराष्ट्र कर सलाहकार संगठन की ओर से शुक्रवार को जीएसटी कार्यालय के सामने आंदोलन किया गया. पुणे में यह आंदोलन वाडिया कॉलेज के समपी स्थित जीएसटी (पुराना एक्साइज ऑफिस) कार्यालय के सामने किया गया.
‘ऑल इंडिया प्रोटेस्ट कमिटी’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र सोनावणे के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में पश्चिम महाराष्ट्र कर सलाहकार संगठन के अध्यक्ष विलास आहेरकर, राष्ट्रीय समन्वयक सीए स्वप्नील मुनोत, कर सलाहकार मेंटॉर गोविंद पटवर्धन, शरद सूर्यवंशी, नवनीत बोरा, सुकृत देव, व्यापारी संगठन के महेंद्र पितलिया, सीए डॉ. अशोककुमार पगारिया भी उपस्थित थे.
नरेंद्र सोनावणे ने कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा लागू वस्तु व सेवा कर की शर्तें, प्रावधान व कठिन कंप्यूटर प्रणाली के विरोध में हमारा यह आंदोलन है. कर सलाहकार, सभी छोटे-बड़े व्यापारी, उद्योगपतियों को कर कानूनों की पूर्ति करने में अनेकों बाधाएं आ रही हैं.
पिछले कुछ वर्षों में कर प्रणालि के प्रावधानों में ज्यादा कठोर हो गए हैं. बार बार नियम बदलने से कर प्रणाली क्लिष्ठ हो गई है. बगैर किसी भई वजह के विलंब शुल्क लगाए जा रहे हैं. रिटर्न में गलती होने पर उसे दुरूस्त नहीं किया जा सकता. जीएसटी पोर्टल सही तरीके से नहीं चल रहा. ऐसी अनेकों बाधाएं हैं.
हर साल प्रशासन इन जटील प्रावधानों को इमानदार करदाताओं पर लाद देते हैं. इसमें छोटे, मध्यम इमानदार व्यापारी अटक चुके हैं. इसी अयोग्य कर कानून के अमल के विरोध में नाराजगी को लेकर निषेध आंदोलन किया गया. भारतभर से आंदोलन को बेहतरीन प्रतिसाद मिला. इस आंदोलन में २०० से अधिक व्यापारी, कर सलाहकार शामिल हुए.
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