विश्वस्तर के नेतृत्व निर्माण की जिम्मेदारी भारत पर
डॉ. राम चरण के विचारः भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार २०२१ प्रदान
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, भारत अस्मिता फाउंडेशन और एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, पुणे की ओर से इस वर्ष डॉ. रामचरण को भारत अस्मिता विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उस अवसर पर उन्होंने अपनी भावना व्यक्त की. यह पुरस्कार का १७ वां वर्ष है, और प्रत्येक को नकद सवा लाख रूपये, प्रमाणपत्र और स्मृतिचिन्ह दिया गया.
इस समय हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के डीन डॉ. श्रीकांत दातार को भारत अस्मिता श्रेष्ठ आचार्य पुरस्कार, लद्दाख के युवा भाजप सांसद जामयांग तेरसिंग नामग्याल को भारत अस्मिता जनप्रतिनिधि सम्मान, पद्मभूषण डॉ. किरण मुजुमदार शॉ को भारत अस्मिता विज्ञान प्रौद्योगिकी सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्मभूषण डॉ. प्रभा अत्रे ऐर जाने मानी फिल्म निर्माता और लेखक पद्मभूषण श्रीमती सई परांजपे को भारत अस्मिता जन जागरण श्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
इस समय प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर, विश्व प्रसिद्ध कंप्यूटर विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ.विश्वनाथ दा. कराड उपस्थित थे.
साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी कार्याध्यक्ष तथा भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार समिति के समन्वयक राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. एन.टी.राव और रविंद्रनाथ पाटिल उपस्थित थे.
डॉ. राम चरण ने कहा, आज देश का नेतृत्व करते हुए, हावर्ड बिजनेस स्कूल के २२ सदस्य भारतीय है. इसमें डॉ. प्रबंधन संस्थान में काम करनेवाले दुनिया का नेतृत्व करके वैश्विक नेताओं का निर्माण कर रहे है. किसी भी क्षेत्र में समर्पण के साथ काम करने से सफलता मिलती है.
सुंदर पिचाई जो एक भारतीय होने के बावजूद गुगल जैसी सबसे बडी कंपनी में विश्व स्तर का नेतृत्व करते है. प्रगति जीवन का स्त्रोत है, इसलिए व्यक्ति को आर्थिक उत्थान के लिए कडी मेहनत करनी चाहिए. प्रौद्योगिकी की प्रगति ने दुनिया भर में प्रत्यक्ष निवेश की शुरूआत के साथ प्रगति के द्वार खोले है.
डॉ. श्रीकांत दातार ने कहा,य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वार शिक्षा पर की गई टिप्पणियों ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है. उन्हेंने चरित्र और नैतिकता पर अधिक जोर दिया है. कोविड काल में प्रबंधन शिक्षा महत्व बढ गया है. साथ ही, इस अवधि के दौरान शिक्षण पद्धति में बदलाव के कारण, ऑनलाइन शिक्षा का महत्व भी बढ गया है. साथ ही इस अवधि के दौरान शिक्षण पद्धति में बदलाव के कारण, ऑनलाइन शिक्षा उद्यमिता का कारण बन गई है. प्रबंधन शिक्षा कौशल जानने और कौशल करना सिखाती है. इसका इस्तेमाल जीवन में कदम से कदम मिलाकर किया जा सकता है.
जामयांग तेरसिंग नामग्याल ने कहा, लोगों के प्रतिनिधि के रूप में, हमें धैर्य की आवश्यकता है. देश के सभी क्षेत्रों में नागरिकों की समस्याओं को हल करने के लिए काम करें. मैंने लद्दाख के नागरिकों की अधिक से अधिक समस्याओं को हल करने का प्रयास किया. आज, लोगों के प्रतिनिधि के रूप में, मैं देश को आगे ले जाने की कोशिश कर रहा हूं. लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना हमारा कर्तव्य है.
डॉ. किरण मुजुमदार शॉ ने कहा, आज के दौर में शिक्षा पर नवनिर्माण को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए. बायोटेक्नॉलॉजी के चलते भारत दुनिया के नक्शे पर पहूंचा है. उद्देश्य और लक्ष्य इन दो बातों के बलबूते सफलता मिल सकती है. रिसर्च और नवनिर्माणपर अधिक जोर देते हुए छात्रों को शिक्षा दे.
सई परांजपे ने कहा, फिल्मों के माध्यम से समाजिक समस्यांओं पर विचार रखते हुए लोगों में जागरूकता लाई है.आज तंत्रज्ञान, विज्ञान, आर्कीटेक्चर, संवाद, अॅस्ट्रोलॉजी जैसे शिक्षा के साथ संगीत का ज्ञान देकर छात्रों का निर्माण करे. साथ ही मनोरंजन समाज की आवश्यकता होने से आनेवाले क्षेत्रों में बडी चुनौती है.
डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा, आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. मै. १७ साल से इस पुरस्कार का सदस्य हू.हमें खुशी है कि इस साल दो महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. साथ ही डॉ. श्रीकांत दातार और डॉ. रामचरण की पसंद पर गर्व है.
डॉ. विजय भटकर ने कहा, डॉ विश्वनाथ कराड का जन्मदिन बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन प्रस्तुत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार, देश में काम करने वाले एक विशेष व्यक्ति का सम्मान है. डॉ. कराड ने समाज के सभी क्षेत्रों में काम किया है. ५ जी का अर्थ है गंगा, गायत्री, गोमाता और भागवत देश के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही सर्वांगीण विकास होता है.
प्रा. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, जीवन का उद्देश्य क्या है. अध्यात्म हमें ज्ञान देता है कि कैसे जीना है और कैसे नहीं जीना है. तो यह यात्रा संत ज्ञानेश्वर से अल्बर्ट आइंस्टीन की है. सीभ को अपना कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए. विश्व शांति के लिए ग्लोबल एज्युकेशन मॅनेजिंग काउंसिल वर्ल्ड पीस की आवश्यता होने की बात भी उन्होंने कहा.
राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा, भारत की स्वतंत्रता के बाद शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग करे. अनुसंधान क्षेत्र पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए. भविष्य के लिए सभी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है. आजादी के बाद देश में बहुत बदलाव आया है. इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग किए गए है. अब हर क्षेत्र में शोध पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और भविष्य के लिए सभी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है.
इसके बाद पद्मभूषण डॉ. प्रभा अत्रे ने वीडियो के माध्यम से संगीत मानव जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है और यह आंतरिक शांति लाता है. संगीत भारत की आत्मा है. ऐसा संदेश दिया. कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ.एन.टी.राव ने रखी. सूत्रसंचालन प्रा. गौतम बापट और डॉ. अनुराधा पराशर ने आभार माना.
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