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देश का विकास भारत के विजन के हिसाब से, चीन अमरीका की तर्ज पर नहीं: भागवत

मुंबई. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि देश का विकास भारत की कल्पना (विजन) के हिसाब से होगा। विकास प्रक्रिया में प्रकृ ति, परंपरा, संस्कृति का तालमेल जरूरी है। जो धर्म मनुष्य को सुविधा संपन्न बनाता है, मगर प्रकृ ति को नष्ट करता है, वह धर्म नहीं है। दुनिया में जो अच्छी चीजें हैं, हो रही हैं, उसे हम जरूरत लेंगे। लेकिन, अमरीका या चीन की तर्ज पर हम विकास के हिमायती नहीं हैं।

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी संस्कृति सेवा भावी है। गरीब साक्षात शिव हैं। हमें दोनों हाथ से कमाना चाहिए। परोपकार करना चाहिए। विश्व गुरु भारत धर्मपरायण देश है। यही विशेषता बाकी देशों से हमें अलग करती है। हमारे पास वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र है। हमारी संस्कृति-सोच सबके विकास में एक का विकास है। बिड़ला मातुश्री सभागार में भारत विकास परिषद के संस्थापक डॉ. सूरज प्रकाश के जन्मशताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने ये बातें कहीं। उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और परिषद के पदाधिकारी भी मौजूद थे।

सेवा में न हो अहंकार
संघ प्रमुख ने कहा कि जैसे विशाल वटवृक्ष का बीज मिट्टी में मिल जाता है, वैसे ही भारत विकास परिषद के संस्थापक डॉ. सूरज प्रकाश थे। उन्होंने अपना जीवन परिषद के लिए समर्पित कर दिया। भारत की अपनी कल्पना है सेवा की, अगर हम सेवा नहीं करेंगे तो कोई और करेगा। गरीबों पर परोपकार नहीं होता। गरीब शिव है और साक्षात हमारे सामने जीवन को सार्थक करने और पुण्यार्जन के लिए मौजूद हैं। सेवा करते हुए अहंकार नहीं रहना चाहिए, क्योंकि जो संपत्ति अर्जित होती है वो चल है। हम उसके मालिक नहीं ट्रस्टी हैं।

विकास के चार साधन
भागवत ने कहा कि भारत के विकास की अपनी कल्पना है। हमारे पास विकास के चार साधन हैं- अर्थ, काम, मोक्ष और धर्म। भारत को दुनिया शांति प्रदाता देश के रूप में देखती है। इसलिए जब तक सृष्टि है तब तक भारत की जरूरत है।

2047 में नंबर वन भारत
आदित्य बिड़ला समूह के मुखिया कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। देश में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। हमारा लोकतंत्र बहुत ताकतवर है। विकास के लिए देश में जरूरी बुनियादी सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। 2047 में देश 100 साल का होगा। पूरी संभावना है कि अगले 25 साल में भारत विश्व की सबसे बड़ी, नंबर वन अर्थव्यवस्था बनेगा। हमारे युवा विश्व स्तर पर कार्य करने में सक्षम हैं।

राष्ट्र सेवा को प्रेरित किया
परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक जैनाचार्य नयपदंसागर ने आशीर्वाद देते हुए राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित किया। महामंत्री श्याम शर्मा ने परिषद के विभिन्न आयामों की जानकारी दी। संगठन मंत्री सुरेश जैन ने कार्यक्रम में मौजूद मेहमानों का परिचय दिया जबकि संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष गजेंद्र सिंह संधू ने आभार जताया।



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