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भारत की यात्रा से लौटे प्रचंड पर विपक्ष क्यों भड़क गया, नागरिकता संशोधन बिल पर भी नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने लगाया रोक

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की दिल्ली यात्रा जिसे उन्होंने 'बहुत सफल' बताया जा रहा है। लेकिन प्रचंड की इस यात्रा ने स्पष्ट रूप से विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया है। विपक्ष एकमत होते हुए उन पर नेपाल को भारत को 'पूरी तरह से बेचने' का आरोप तक लगा दिया है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और नेपाल मजदूर किसान पार्टी सहित विपक्ष ने प्रतिनिधि सभा को रविवार को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। इसके साथ ही अध्यक्ष से सूचीबद्ध कार्य को रोकने के लिए कहा और पीएम को उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए बुलाया है। 

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नेपाल की सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर भारत के साथ सीमा विवाद का मुद्दा न उठाने को लेकर प्रचंड की कटू आलोचना कर रहे हैं। इस बीच, न्यायमूर्ति मनोज कुमार शर्मा की सर्वोच्च न्यायालय की एकल पीठ ने नागरिकता विधेयक के संचालन पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसे राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने दहल के आधिकारिक दौरे पर जाने से कुछ ही घंटे पहले मंजूरी दे दी थी। 

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यूएमएल के मुख्य सचेतक पदम गिरि ने मीडियाकर्मियों से कहा कि पीएम दहल संक्षिप्त और राष्ट्रीय हित की कीमत पर भारत चले गए और उन्होंने सीमा विवाद के मुद्दे को उठाने से इनकार कर दिया। उन्होंने नए संसद भवन में लगे 'अखंड भारत' के भित्ति चित्र में कथित रूप से गौतम बुद्ध के जन्म स्थान लुंबिनी और कपिलवस्तु को दिखाए जाने को लेकर प्रचंड की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। नेपाल के नागरिकता कानून में यह संशोधन हमेशा से ही विवादित रहा है जो नेपालियों से शादी करने वाले विदेशियों को राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ उन्हें नागरिकता भी प्रदान करता है। माना जाता है कि बिल की मंजूरी भारत से सटे तराई में लोगों को नागरिकता देने के मुद्दे पर कुछ पांच साल पहले व्यक्त की गई दिल्ली की इच्छा को संबोधित करती है। 



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