Prabhasakshi NewsRoom: Nepal के बाद आया Madagascar का नंबर, Gen Z के आंदोलन ने पलट दी सत्ता, President Andry Rajoelina देश छोड़ कर भागे
मैडागास्कर में जो कुछ हुआ उसने यह साबित कर दिया कि जनरेशन ज़ी (Gen Z) अब सिर्फ़ सोशल मीडिया पर शोर मचाने वाली पीढ़ी नहीं रही, यह वह वर्ग है जो सत्ता की कुर्सियाँ हिला सकता है। हम आपको बता दें कि हफ्तों तक चले युवा-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद हालात उस बिंदु पर पहुँच गए जब मैडागास्कर की एक अभिजात सैन्य इकाई CAPSAT ने प्रदर्शनकारियों का साथ दे दिया और राष्ट्रपति एंड्री राजोएलीना (Andry Rajoelina) से इस्तीफे की माँग कर डाली। इसके साथ ही सत्ता का तख्ता पलट गया, और राजोएलीना देश छोड़कर भाग गए। यह दृश्य केवल एक अफ्रीकी द्वीप देश का राजनीतिक संकट नहीं था— यह उस नई वैश्विक प्रवृत्ति का प्रतीक है जिसमें युवा पीढ़ी राजनीतिक परिवर्तन की निर्णायक ताकत बन चुकी है।
हम आपको बता दें कि मैडागास्कर के 31 मिलियन नागरिकों वाले इस द्वीप में 25 सितंबर से शुरू हुए विरोध पहले तो जल व बिजली संकट के खिलाफ़ थे, लेकिन जल्द ही ये आंदोलन भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और राजोएलीना के दोहरे नागरिकता विवाद के खिलाफ़ जन-विद्रोह में बदल गए। राष्ट्रपति पर फ्रांसीसी नागरिकता रखने का आरोप लंबे समय से जन-असंतोष को भड़का रहा था, ऐसे में CAPSAT नामक सैन्य इकाई जो 2009 में राजोएलीना को सत्ता में लाई थी, वह भी उनके ख़िलाफ़ खड़ी हो गई। इस तरह इतिहास ने खुद को दोहरा दिया।
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राष्ट्रपति ने सोमवार रात एक गुप्त स्थान से अपने संबोधन में कहा कि “मैंने अपनी जान की रक्षा के लिए सुरक्षित स्थान की तलाश की।” लेकिन यह संदेश भी टीवी पर नहीं, बल्कि फेसबुक पेज के ज़रिए जारी हुआ। हम आपको बता दें कि सेना के भीतर भी अब CAPSAT का प्रभुत्व है, जिसे गार्ड और अन्य सैन्य गुटों का समर्थन मिल चुका है।
कर्नल माइकल रैंड्रियनरीना का बयान कि “हमने जनता की पुकार सुनी है, यह तख्तापलट नहीं, जनादेश की आवाज़ है,” बताता है कि अब सेना भी अपने वैधता-स्रोत को “जनता” से जोड़ना चाहती है, न कि राष्ट्रपति से। यह एक बड़े परिवर्तन की दिशा में संकेत है कि सत्ता अब केवल चुनावी वैधता से नहीं, बल्कि सामाजिक और डिजिटल वैधता से भी तय हो रही है।
देखा जाये तो मैडागास्कर का यह विद्रोह नेपाल में हाल ही में हुए जेन-ज़ी आंदोलन की गूंज जैसा था, जहाँ युवा विरोध ने सरकार को गिरा दिया था। इस नई पीढ़ी के आंदोलन की विशेषता यह है कि ये न किसी राजनीतिक दल के पीछे हैं, न किसी वैचारिक गुट के। ये डिजिटल रूप से संगठित, सूचनाप्रवीण और वैश्विक चेतना से जुड़े नागरिक हैं। Gen Z वह पीढ़ी है जो लोकतंत्र को केवल वोट देने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि रियल-टाइम जवाबदेही के रूप में देखती है। इंटरनेट, इंस्टाग्राम और रील्स की दुनिया में पले-बढ़े ये युवा सरकारों से तुरंत प्रतिक्रिया और पारदर्शिता की अपेक्षा करते हैं। जल संकट, भ्रष्टाचार, या नागरिक अधिकार, हर मुद्दा इनके लिए “राष्ट्रीय” और “व्यक्तिगत” दोनों है। मैडागास्कर की सड़कों पर उतरने वाले ये युवा न तो पारंपरिक राजनीतिक भाषा बोलते हैं, न उनके पास कोई नेता है। उनके पास नेटवर्क है कोई पार्टी नहीं। यही इस आंदोलन की शक्ति और उसकी चुनौती दोनों है।
मैडागास्कर का यह संकट उस व्यापक सच्चाई को उजागर करता है कि 21वीं सदी की राजनीति अब केवल सत्ता-संरचना की नहीं, संचार-संरचना की लड़ाई है। राष्ट्रपति राजोएलीना ने संवाद की अपील की, लेकिन बहुत देर से। उनकी सत्ता उन्हीं डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर गिरी जहाँ आज जनता अपनी आवाज़ बनाती है। सवाल यह नहीं कि यह “कू” था या “क्रांति', असली प्रश्न यह है कि क्या पारंपरिक लोकतंत्र नई डिजिटल जनता की रफ्तार से तालमेल बिठा पाएंगे? Gen Z का यह संदेश अब वैश्विक है- सत्ता जनता की है, लेकिन जनता अब ऑनलाइन है। नेपाल से लेकर मैडागास्कर तक, यह पीढ़ी नारे नहीं, “ट्रेंड” बनाती है; और एक बार जब यह ट्रेंड सड़क पर उतरता है, तो बंदूकें भी दिशा बदल लेती हैं।
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