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भूखमरी की मार बढ़ी: वैश्विक सूचकांक में भारत फिर पिछड़ा

भूखमरी की मार बढ़ी: वैश्विक सूचकांक में भारत फिर पिछड़ा

एनआरसी, सीएए के शोर में गंभीर घटनाओं की हो रही अनदेखी

पिछले कुछ दिनों से एनआरसी और सीएए को लेकर देशभर में खिंचतान चल रही है. गली से लेकर दिल्ली तक और चौक-चौराहों से लेकर मीडिया के स्टुडिओ तक हर तरफ यही कानफाड़ू मुद्दे चर्चा में है. लेकिन इन मुद्दों की आग से उठे धुएं में एक बेहद भयानक खबर धूमिल हो गई है.

हाल ही में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक भारत वैश्विक भूख सूचकांक में फिर फिसलकर विश्व के 119 देशों में 103 वें स्थान पर पहुंच गया है. खास बात यह कि, इस सूचि में भारत के पड़ौसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल और श्रीलंका जैसे देश उपर है.

हालांकि, यह पूरी जानकारी देश के लिए कितनी भी गंभीर और शर्मनाक क्यों न हों, लेकिन इतने गंभीर मुद्दे पर कोई भी गंभीरता से चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है. देश में इस समय पाकिस्तान, हिंदू-मुस्लिम, घुसपैठियें इन्हीं मुद्दों को आगे कर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है.

वैश्विक भूख सूचकांक के लिए आयर्लैंड की कन्सर्न वर्ल्डवाइड और जर्मनी की वेल्थुंगरहिल्फ ने काफी गहराई से अनुसंधान किया. इसमें पूरे विश्व के करीब 119 देशों की जांच की. इस रिपोर्ट में बेलारूस, बोस्निया एंड हर्जगोवेनिया और बुल्गारिया क्रमशः पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर स्थापित है.

जबकि आखिर में सेंट्रल अफ्रिकन रिपब्लिक 117वें और यमन 116वें स्थान पर हैं। भारत 103वें स्थान पर आसीन है. खास बात यह कि, भारत को एक कृषिप्रधान देश के तौर पर जाना जाता है. लेकिन ऐसे कृषिप्रधान देश की यह हालत भविष्य में भूखमरी से होने वाली मौतों का एक गंभीर संकेत भी दे रही है.

क्या है वैश्विक भूख सूचकांक?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी (GHI) यांनी वैश्विक भूख सूचकांक की शुरुआत वर्ष 2006 में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की गई थी. वेल्ट हंगरलाइफ़ नाम के एक जर्मन संस्थान ने 2006 में पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स की जानकारी जारी की थी. वर्ष 2018 का इंडेक्स इसका 13वां संस्करण था. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में विश्व के सभी देशों में खानपान की स्थिति की जानकारी होती है. जैसे लोगों को किस तरह का खाना मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं. GHI रैंकिंग हर साल अक्टूबर में घोषित किया जाता है.

क्या होते है भूख निर्देशांक के पैमाने?

वैश्विक भूख सूचकांक की रिपोर्ट को चार पैमानों पर तैयार किया गया. इसमें कम पोषण, पांच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनका वज़न उम्र के लिहाज़ से कम है (चाइल्ड वेस्टिंग), पांच साल से कम उम्र के बच्चे, जिनकी ऊंचाई उम्र के लिहाज़ से कम है (चाइल्ड स्टंटिंग), पांच साल से कम आयु में शिशु मृत्यु दर. यह स्थिति भारत में कुपोषण की स्थिति पर भी गंभीर कटाक्ष करती है.

क्या है भूख इंडेक्स मायने?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की फिसलन एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा करती है. 'ग्लोबल इंडेक्स स्कोर' ज़्यादा होने का उस देश में भूख की समस्या अधिक होने की बात साबित करती है. उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति बेहतर है.

भारत की यह फिसलन निर्देशित करती है, भूख से तड़पते हुए देश की सूचि में भारत का समावेश होता जा रहा है. केवल पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत की रैंकिंग 55 से गिरकर 103 तक पहुंच गई है. इसे जल्द से जल्द सुधारने की आवश्यकता है.

प्रतिवर्ष इस तरह रैंकिंग में फिसल रहा है भारत


Year
India's Ranking in hunger index
2014
55
2015
80
2016
97
2017
100
2018
103

2018 में भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति 
चीन
25
श्रीलंका 
67
म्यामांर 
68
नेपाल
72
बांग्लादेश
86
मलेशिया 
57
थाईलैंड
44
पाकिस्तान
106




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