भारत और पाकिस्तान समेत कई देशों में सीआईए ने करवाई जासूसी
वाॅशिंग्टन पोस्ट ने किया खुलासा, अमरीका चेहरा फिर आया सामने
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वाॅशिंग्टन पोस्ट में प्रकाशित खबर के अनुसार, वर्ष 1940 में स्वीट्जर्लैंड में क्रिप्टो एजी कंपनी की स्थापना हुई थी. बाद में 1951 में यह इस कंपनीने सीआईए के साथ सकामकाज साझा किया. लेकिन 1970 में इस एजन्सी का मालिकाना हक सीआईए ने प्राप्त कर लिया. इसी कंपनी के माध्यम से सीआईए पिछले कई वर्षों से भारत, पाकिस्तान समेत विभिन्न देशों में जासूसी की गई.
सीआईए इस संस्था के माध्यम से किस तरह से सासूसी करती है, इसका भी खुलासा इस खबर में किया गया है. इसके मुताबिक क्रिप्टो एजी यह अपने आप को एक मीडिया संस्था बताते हुए खबरों का कवरेज करने का बहाना बनाकर सरकारी विभागों और विभिन्न जगहों से कागजात हासिल करती है.
इस तरह से क्रिप्टो एजी सीआई के लिए भारत, पाकिस्तान, इरान समेत लैटिन अमरीकी देशों की सरकारों तथा सेनाओं में से जानकारी चुराती है और उसे सीआईए तक पहुंचाने का काम करती है. क्रिप्टे एजी यह संस्था कम्युनिकेशन एण्ड इन्फाॅर्मेशन सिक्युरिटी की विशेषज्ञ बताई जाती है.
विभिन्न देशों को अपनी गोपनीय जानकारी सुरक्षित रखने के लिए यह एजन्सी काफी सुरक्षीत लगती थी. इसी का नतीजा है कि, इरान समेत कई सारे लैटिन अमरीकी देशों ने अपनी अहम जानकारी इस संस्था के पास रखी हुई थी. लेकिन इस कंपनी ने अपने सहोयिगों के साथ धोखा करते हुए यह जानकारी अमरीका को लीक की.
इतना नहीं बल्कि इस संस्था की ओर से भारत, पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में जासूसी करते हुए अहम जानकारियां सीआईए तक पहुंचाने का काम किया, ऐसा दावा वाॅशिंग्टन पोस्ट की खबर में किया गया है.
सीआईए एक बदनाम संस्था
अमरीका की सेंंट्रल इंटेलीजेन्स एजन्सी दुनिया की विख्यात खुफिया एजेन्सी है. यह एजेन्सी पिछले सात दशकों में अमरीका के लिए दुनिया भर से जानकारी जुटाने का प्रयास किया. इतना नहीं, लेकिन दुनिया के विभिन्न देशों में जहां कहीं भी अमरीका विरोधी सरकारें है, वहां तख्तापलट करने का आरोप इस संस्था पर है.सीआईए ने दुनिया भर में कई सारी हिंसक कार्रवाईयां भी की है तथा प्रजातांत्रिक सरकारों के खिलाफ कई देशों में विद्रोह की आग को भडकाकर वहां हुकूमशाही सरकारों को स्थापित किया है. सीआईए पर कई लोगों को मौत के घाट उतारने के आरोप हमेशा लगते रहे है.
शीतयुद्धके दौरान अमरीका की सीआईए और रूस की केजीबी इन खुफिया संस्थाओं में एक सूप्त लड़ाई हमेशा चलती रहती थी. दुनिया के विभिन्न देशों में स्थापित साम्यवादी और उदारवादी सरकारों को पलट देना, पूंजीवादविरोधी विचारधारा के नातेओं के हत्याएं करवाना, चिली के राष्ट्रपति सैल्वेदर एलंदे का तख्तापलट, बोलिविया में चे गवेरा की हत्या, वियतनाम युद्ध में मासूमों का कत्लेआम, अफगानिस्तान में रूसी सेनाओं से लड़ने वाले पाकिस्तानी इस्लामिक चरमपंथियों को पैसा और हथियारों की सप्लाई करना, ऐसे कई सारे काम करने का आरोप सीआईए पर लगते रहे है.
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