क्या कोरोना के राष्टीय संकट को निपटाने में नाकाम हुए है शी जीनपिंग?
चीनी जनता में असंतोष बढ़ने की आ रही है खबरें
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फाईल फोटो |
नई दिल्ली - कोरोना वाइरस के प्रकोप के बाद चीन में उपजी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कहीं ना कही चीनी सरकार असफल साबित होती दिख रही है. इसी का कारण है पिछले कुछ दिनों से चीन के राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च नेता शी. जीनपिंग पिछले कुछ दिनों से पर्दे के पीछे चले गए है. वे अब सरकार के दूसरी पंक्तियों के पदाधिकारियों को आगे कर रहे है. लेकिन इसका उल्टा परिणाम दिखाई दे रहा है. क्योंकि इससे लोगों में गुस्सा और भी बढ़ता जा रहा है.
बता दें कि, पिछले कुछ दिनों से चीन में कोरोना वाइरस ने काफी तहलका मचा रखा है. कोरोना के कारण इस समय पूरे चीन में भय का माहौल है. अधिकृत सूत्रों के मुताबिक भी कहा जाए तो अब तक इस महामारी में एक हजार से अधिक लोग दम तोड़ चूके है और कम से कम 50 हजार लोग इसकी चपेट में आए है.
इस वाइरस के फैलने की गति इतनी ज्यादा है कि, आने वाले समय में इसकी चपेट में और कितने लोग आएंगे कहा नहीं जा सकता. पिछले कुछ दिनों में चीन से जो भी लोग निकलकर दुनिया में गए है, वहा ंभी इस बीमारी का संक्रमण पाया गया है. यानी यह एक वैश्विक संकट बनने जा रहा है. लेकिन इस पर अब तक कोई भी प्रतिबंधक टीका बनाने में वैज्ञानिक नाकाम रहे है.
चीनी सरकार इस संकट से निपटने के लिए दावें तो काफी लम्बे-चौड़े कर रही है. अभी नववर्ष की शुरुआत में ही चीनी राष्ट्रपति शी जीनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के पदाधिकारियों के समक्ष जमकर भाषण दिया और चीन किस तरह से प्रगति की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, इसकी डिंगें हाक रहे थे.
लेकिन कोरोना वाइरस के प्रकोप के चलते चीन के इस विकास की दावों की हवा निकलती दिख रही है. ज्ञात हों कि, पिछले करीब सात वर्षों से शी जीनपिंग सत्ता की गद्दी पर बैठे है. लेकिन इस दौरान उन्होंने सत्ता पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए देश में एकाधिकार कायम किया है.
हाल ही में उन्होंने अपने आप को मरते दम तक चीन का राष्ट्रपति स्थापित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है. लेकिन कोरोना वाइरस के मामले में अब तक सरकार के सफलता प्राप्त ना करने के चलते लोगों में सरकरा के प्रति बेहद गुस्सा दिखाई दे रहा है.
चीन में कोरोना के चलते लोगों पर काफी कड़े प्रतिबंध लगाए गए है, जिससे वहां के लोगों को पहले से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना के संकट के सार्वजनिक होने के समय से ही शी जीनपिंग सामने नहीं आ रहे है. उन्होंने इस संकट से निपटने के लिए सत्ता के दूसरे कतार के नेता ली केक्वियांग को आगे किया है.
पिछले कुछ दिनों से ली केक्वियांग इस मामले में मोर्चा संभाले हुए है. इस तरह से शी जीनपिंग का सामने ना आना लोगों में और भी गुस्से को हवा दे रहा है. इसी का नतीजा है कि, कोरोना वाइरस का यह संकट चीन को काफी भारी पड़ने की संभावना है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. वैसे भी वहां की जनता में स्वतंत्रता की भावना पिछले कई वर्षों में सूप्त रूप से पनप रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है.
इस संकट का असर किस रूप में दिखाई देता है, यह तो आने वाले समय में ही पता चल जाएगा. लेकिन चीनी सरकार को जल्द से जल्द इस संकट से जनता को उबार ना होगा, वर्ना आने वाले समय में कोरना वाइरस की समस्या चीन के पतन में आखरी कील ठोंक सकता है.
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