हैदराबाद निजाम के संपत्ति मामले में पाकिस्तान की हुई हार
निजाम के वंशजों को मिलेगा पूरा खजाना
नई दिल्ली - हैदराबाद के निजाम का 324 करोड़ रुपयों का खजाना आखिर में भारत ने पाकिस्तान से छीन लिया है. कानूनी दांवपेंचों में भारत ने पाकिस्तान को परास्त कर पिछले 70 वर्षों से चले आ रहे इस विवाद पर पर्दा गिर गया है. जल्द ही यह रकम भारत में रह रहे निजाम के वंशजों को मिलेगी.
लंदन के न्यायालय में हैदराबाद फंड नाम से यह मामला चल रहा था. निजाम की संपत्ति पर पिछले सात दशकों से पाकिस्तान अपना दावा जता रहा था. लेकिन लंदन न्यायालय ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद 324 करोड़ का यह खजाना लंदन में भारतीय उच्चायोग की ओर सौंपा गया है. यह रकम भारत में रह रहे निजाम के वंशजों को मिलेगी.
बता दें कि, भारत-पाकिस्तान में 1947 में बंटवारा होने के बाद सेना की सशस्त्र कार्रवाई करते हुए हैदराबाद संस्थान का भारत में विलय करवाया था. लेकिन इस विलय से पहले ही हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान के तत्कालीन वित्त मंत्री मोइन नवाज जंग ने 8 करोड़ 87 लाख रुपये पाकिस्तान के लंदन स्थित उच्चायुक्त रहिमतुल्लाह के नाम से लंदन के नेशनल वेन्समिन्स्टर बैंक में स्थानांतरित की थी.
लेकिन चूंकि निजाम को स्वतंत्र रूप से देश का सत्ताधीश नहीं था, इसलिए यह रकम एक देश के तौर पर भारत की है, ऐसा दावा भारत की ओर से किया जा रहा था. भारत ने यह सारी रकम फ्रीज करने की बैंक की ओर गुहार भी लगाी थी.
पिछले 70 वर्षों के दौरान यह रकम बढ़कर 324 करोड़ तक पहुंच गई थी. इस रकम के संदर्भ में तत्कालीन निजाम को उस्मान अली खान अनभिज्ञ रखे जाने की बात बताई जाती है. निजाम की इस संपत्ति पर पाकिस्तान पहले से अपना दावा ठोंक रहा था. लेकिन उस्मान अली के 1967 में हुए निधन तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया था.
पिछले कुछ वर्षों से निजाम के वंशज निजाम मुकर्रम जहां और मुजफ्फर यह खजाना पाकिस्तान को ना देने के संदर्भ में लड़ाई लड़ रहे थे. इस मामले में भारत ने पाकिस्तान और निजाम के साथ कोर्ट के बाहर समझौता करने की बात 2008 में कही थी. लेकिन 2013 में इस पूरी संपत्ति पर अपना दावा ठोंका था.
हाल ही में लंदन कोर्ट के न्यायाधीश मार्कस स्मिथ ने मामले में पाकिस्तान के दावे को खारीज करते हुए यह खजाना निजाम के वंशजों को सौंपने का फैसला सुनाया. इसलिए यह खजाना अब भारत में रह रहे निजाम के वंशजों तक आएगा.
Labels
International
Post A Comment
No comments :