देश की जनता से आंकड़े क्यों छूपा रही है मोदी सरकार
राष्ट्रीय उपभोक्ता खर्च में 40 वर्ष में आई सबसे कमी
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नई दिल्ली - केंद्र सरकार की अधिकृत संस्था नेशनल स्टैटिस्टिक आयोग (एनएसी) के कुछ चौंकाने वाले आंकड़े हाल ही में सामने आए है. लेकिन सरकार की किरकिरी से बचने के लिए मोदी सरकार ने इन आंकड़ों को घोषित करने से इन्कार कर दिया है. इससे मोदी सरकार जनता से देश की स्थिति छुपाने का प्रयास तो नही कर रही है, ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है.
नेशनल स्टैटिस्टिक कमिशन देश में विभिन्न प्रकार के आंकड़े जुटाने और सर्वेक्षण करती है. वर्ष 2018 में जो सर्वेक्षण किया गया था, उसकी रिपोर्ट सरकार द्वारा अधिकृत तौर पर घोषित होने से पहले ही लीक हो गई थी. बीजनेस स्टैण्डर्ड ने इसके संदर्भ में खबर प्रकाशित की थी, जिससे सरकार की काफी किरकिरी हुई थी.
वर्ष 2017-18 के रिपोर्ट में कहा गया था कि, वर्ष 2012 से लेकर 2018 तक उपभोक्ता खर्च में 3.7 प्रतिशत की कमी आई है. इस जानकारी के बाद मोदी सरकार ने वर्ष 2018 के सर्वे के आंकड़े घोषित करने से इन्कार कर दिया है. हालांकि, कुछ ही दिन पहले एनएससी के अध्यक्ष बीमल कुमार राॅय इस सर्वे के आंकड़े घोषित करने की बात कही थी, लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी है.
विशेषज्ञों की मानें तो उपभोक्ता खर्च में कमी आना यानी देश में गरीबी बढ़ने का संकेत है. यह आंकड़े घोषित होते तो सरकार की फजिहत होती, इसीके चलते मोदी सरकार ने यह आंकड़े छुपाने का प्रयास करने का आरोप किया जा रहा है.
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