कोरोना के मुद्दे पर यूएनएससी में अपनी जिम्मेदारी से भागा चीन
इस्टोनिया ने उठाई थी यूएनएससी में चर्चा की मांग
File Photo
नई दिल्ली - जिस कोरोना वाइरस का संक्रमण चीन में उत्पन्न हुआ और आज पूरे विश्व में पहुंच कर थोक में जिंदगियां खत्म कर रहा है, उसी कोरोना के मुद्दे को लेकर चीन की सरकार ने यूनाइटेड नेशन्स की सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चर्चा के लिए वेटो (नकाराधिकार) का इस्तेमाल किया, जिससे इस पर कोई चर्चा नहीं हो पाई है. इस तरह से चीन इस मुद्दे को लेकर अपनी जिम्मेदारी से भागता दिखाई दे रहा है.
ज्ञात हों कि, जब से पूरे विश्व में कोरोना वाइरस का संक्रमम फैला है और प्रतिदिन सैकड़ों मौते हो रही है, तभी से कई सारे देश चीन को इस संक्रमण का जिम्मेदार ठहरा रहे है. चीन इस समय पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ चुका है. अमरीका पिछले कुछ दिनों से लगातार चीन पर कई तरह के आरोप भी लगा रहा है. अमरीका का तो यहां तक आरोप है कि, इसे कोरोना वाइरस की बजाय चीनी वाइरस ही कहा जाए.
इस बीच सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य इस्टोनिया ने यूएनएससी में कोरना वाइरस के संक्रमण पर चर्चा करने की मांग की थी. इस्टोनिया ने कहा था, चूंकि कोरोना के चलते पूरे विश्व में अशांति फैली हुई है, हजारो लोगों की मौत हो चुकी है. इसलिए इस संक्रमण के संदर्भ में पूरी जानकारी पारदर्शिता के साथ दुनिया के सामने आनी चाहिए.
इस्टोनिया ने आरोप लगाया कि, जब कोरोना वाइरस का संक्रमण चीन में प्राथमिक स्तर पर था, तब चायना ने उस पर उचित उपाय करने की बजाय इसकी खबरों को दबाने का काम किया. उचित उपाय ना होने के चलते इस संक्रमण ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे आज हजारो जिंदगियां खत्म हो गई है. अगर चीन इस संक्रमण के संदर्भ में पारदर्शिता बरती होती, तो आज दुनिया में इतना हाहाःकार नहीं मचा होता.
इस बात के लिए चीन को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, ऐसी मांग इस्टोनिया ने की थी. इसी मुद्दे को लेकर यूएनएससी में चर्चा होनी थी. लेकिन चीनने सुरक्षा परिषद में इसका विरोध किया, जिससे इस मुद्दे पर कोई चर्चा नही हो पाई.
अगर यह बैठक होती और कोरोना वाइरस के संक्रमण के मुद्दे पर चर्चा होती, तो सुरक्षा परिषद के देशों के सवालों का चीन को जवाब देना पड़ता. जो शायद चीन के कतई संभव नहीं था. इसलिए इस बैठक का विरोध कर चीन इस पूरी चर्चा से ही भाग खड़ा हुआ.
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